



The Khabar Xpress 03 सितंबर 2024। 43 साल बाद अगर हम अपने स्कूली मित्रों से मिले तो क्या माहौल हो सकता है ? और कैसे हम अपने बचपन के उन लम्हो को वापिस जी सकते है ? कल्पना करें उन लम्हो को बरबस ही मन में हर्ष की लहर उठ जाती है। इन्ही लम्हो को पुनर्जीवित किया हमारे श्रीडूंगरगढ़ की 1981 बेच की छात्राओ ने। आडसरबास की दो बहनों श्रीमती निर्मला सोमाणी और उर्मिला लखोटिया के मन में ये खयाल आया कि वे राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ी अपनी 1981 की दसवीं कक्षा की सहेलियों के साथ अपने बचपन की यादों को पुनः सहेजे।
श्रीमती निर्मला सोमाणी ने बताया कि इन यादों को दोबारा जीने में सबसे ज्यादा जरूरी था कि हमारे बेच की सखियों को सर्वप्रथम एक दूसरे से जोड़े। तब आज की तकनीक का फायदा उठाते हुए हमने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और बड़ी कोशिशो के बाद उसमें 55 बहने जुड़ गई। फिर शुरू हुआ बचपन के उन लम्हो को दोबारा जीने का सपना। जिसमे हमारे परिवार और बच्चों ने भी हम सबका साथ दिया। सबकी स्वीकृति से देश के कोने कोने में बसी 34 सहेलियां 23 अगस्त को देवभूमि ऋषिकेश में एकत्रित हुई। हमने वहां पर 28 अगस्त तक अपने बचपन के दिनों को याद किया और यादों के झरोखे से बीते लम्हों को याद किया।

उर्मिला लखोटिया ने इन संस्मरणों को याद करते हुए बताया कि हम सभी 60 के आसपास की हो चुकी है। भरे पूरे परिवार में पूरे प्रदेश में बसी हमारी बहने जब आपस मे मिली तो मन मे जो भाव थे वे आंखों में उमड़ रहे थे। सभी ने आज के तकनीकी युग मे जब बच्चों को मोबाइल और दूसरे कार्यो से ही फुरसत नही मिलती उस वक़्त हम सभी ने वक़्त एक साथ गुजारा था जो आज से तो कहीं बेहतर था। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब किसी के पास समय नहीं है तब उस वक़्त हम सभी एक साथ रहकर अपनी जिंदगी के ख़्वाबो को बुना करते थे।
जानें कितनी यादें बरबस आ ही जाती है,
कुछ नैंन वजह बेवजह भिगो जाती है,
कुछ चेहरे को मुस्कुराता छोड़ जाती है,
यादें हैं सरहदें या दहलीज़ों में कब रह पाती है,
बीते लम्हों की तस्वीर कभी बहुत साफ़ नज़र आती है,
यादों के झरोखों से यादें झांकती हर वक़्त नज़र आती हैं|
इस रीयूनियन में श्रीमती वीणा सोमाणी ने जहां अपनी कविताओं से सबको मंत्रमुग्ध किया। वहीं हमारी साथी श्रीमती शंकुतला राठी की बेटी सारिका राठी ने अनेक मनोरंजन भरे कार्यक्रमों से हमारे बचपन की यादों को ताज़ा कर दिया।

सारिका राठी ने बताया कि सभी महिलाएं जब मिली तो उनका पूरा समय अपने बचपन के लम्हो को पूरी शिद्दत से जिया। उन्होंने स्कूल की यूनिफॉर्म में अपने स्कूली दिनों को याद किया तो उन भूले बिसरे खेलो और गीतों को अंताक्षरी में याद किया। सारिका ने बताया कि स्वागत समारोह से आरम्भ हुए इस पूरे रीयूनियन सप्ताह में गंगा स्नान, चुनरी मनोरथ, गंगा आरती, सहस्र धारा स्नान, हरिद्वार दर्शन, स्कूल टाइम की यादों के प्रोग्राम, संतों की सेवा, आश्रम में दान पुण्य, भजन संध्या और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को धूमधाम से मनाया जिसमे भजनो की शानदार प्रस्तुतियां उनके द्वारा दी गई। फिर सभी सहेलियों ने एक बार पुनः मिलन की आस में एक दूसरे से भीगी पलकों के साथ इन यादों को संजोये हुए एक दूसरे से विदा ली।

