



The Khabar Xpress 13 जनवरी 2025। बच्चों को चोट लगने पर माता-पिता अक्सर हम सुनते हैं कि टिटनेस इंजेक्शन लगवाना चाहिए। टिटनेस एक गंभीर इंफेक्शन है, जो क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया मिट्टी, धूल और गंदगी में पाया जाता है और जब गहरे घाव में पहुंचता है, तो टॉक्सिन छोड़ता है जो मांसपेशियों में अकड़न और गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। टिटनेस की स्थिति में मांसपेशियों में दर्द और जकड़न होती है, जो सबसे पहले जबड़े और गर्दन में शुरू होती है। इसे ‘लॉक जॉ’ भी कहा जाता है। अगर समय पर इलाज न हो, तो यह सांस लेने में कठिनाई और दिल की धड़कन की अनियमितता जैसी जानलेवा स्थितियां पैदा कर सकता है। बच्चों में चोट लगना आम बात है, क्योंकि वे खेल-कूद के दौरान ज्यादा खतरे में रहते हैं। कई बार चोटें सतही होती हैं, लेकिन अगर घाव गहरा है, उसमें मिट्टी या जंग लगी चीज शामिल हैं, तो टिटनेस का खतरा बढ़ जाता है। टिटनेस इंफेक्शन से बचने के लिए इंजेक्शन लगवाना जरूरी हो सकता है। आइए जानें कि किन परिस्थितियों में टिटनेस इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है और किन स्थितियों में इससे बचा जा सकता है। इस विषय पर बेहतर जानकारी संजीवनी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल श्रीडूंगरगढ़ के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ हिरामनाथ सिद्ध ने दी है।
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क्या बच्चे को चोट लगने पर हर बार टिटनेस इंजेक्शन लगवाना जरूरी है ?

हर चोट पर टिटनेस इंजेक्शन लगाना हमेशा जरूरी नहीं होता। इसका फैसला चोट की प्रकृति और पिछले टीकाकरण रिकॉर्ड पर निर्भर करता है।
1. अगर बच्चे का नियमित टीकाकरण हुआ है:
बच्चों को 2, 4, और 6 महीने की उम्र में डीटीपी DTP (Diphtheria, Tetanus, Pertussis) वैक्सीन लगाई जाती है। इसके बाद 18 महीने और 5 साल की उम्र में बूस्टर डोज दी जाती है। अगर बच्चा इन बूस्टर डोज के हिसाब से टीकाकरण ले चुका है और चोट इसके 5 साल के अंदर लगी है, तो टिटनेस इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती।
2. अगर बच्चे का टीकाकरण अधूरा है:
अगर बच्चा समय पर टिटनेस बूस्टर नहीं लगवा पाया है, या पिछले 10 सालों में बूस्टर डोज नहीं ली गई है, तो चोट के समय टिटनेस इंजेक्शन लगवाना जरूरी हो सकता है।
3. घाव की स्थिति:
- टिटनेस का खतरा चोट की गहराई और स्थिति पर निर्भर करता है।
- छोटी खरोंचें या सतही घाव जिनमें मिट्टी या गंदगी न हो, इनमें अक्सर टिटनेस इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं होती।
- गहरे घाव, जिनमें मिट्टी, धूल या जंग लगी चीजें शामिल हों उनमें टिटनेस इंजेक्शन लगावाना पड़ता है।
- जानवरों के काटने या नुकीले सामान से लगी चोटों में भी टिटनेस का खतरा ज्यादा होता है और टिटनेस इंजेक्शन लगवाने की जरूरत होती है।
बच्चों को चोट लगने पर क्या करना चाहिए?
- चोट को तुरंत साफ करें। साफ पानी और साबुन से घाव को धोकर गंदगी और बैक्टीरिया हटा दें।
- एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करें। चोट को इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं।
- अगर घाव गहरा है या चोट की स्थिति पता नहीं है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- टीकाकरण का रिकॉर्ड चेक करें। चोट लगने पर डॉक्टर को बच्चे के टीकाकरण की जानकारी दें।
क्या टिटनेस से बचा जा सकता है?
हां, नियमित टीकाकरण और साफ-सफाई के जरिए टिटनेस से बचाव संभव है। बच्चों को उनके टीकाकरण शेड्यूल के अनुसार डीटीपी (DTP) और बूस्टर डोज दिलाना सुनिश्चित करें।
हर चोट पर टिटनेस इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती। यह चोट की प्रकृति, गंदगी के संपर्क और बच्चे के टीकाकरण रिकॉर्ड पर निर्भर करता है।
Disclaimer: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। The Khabar Xpress की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

