



The Khabar Xpress 06 जनवरी 2025। जयपुर में दवा सुरक्षा को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। हाल ही में दवा विभाग द्वारा की गई सैंपलिंग में पैरासीटामोल, इंसुलिन इंजेक्शन, और रेबीप्राजोल जैसी आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कई दवाओं के सैंपल तय मानकों पर खरे नहीं उतरे। इन दवाओं में घटकों की कमी पाई गई, जिससे मरीजों की सेहत पर गंभीर खतरा हो सकता है। दवा विभाग ने इन दवाओं के बैचों की बिक्री पर तुरंत रोक लगा दी है।
हिमाचल और उत्तराखंड में बनी दवाओं पर सवाल
यह बात और भी गंभीर हो जाती है जब यह पता चलता है कि अधिकांश फेल हुई दवाइयां हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में निर्मित हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब इन राज्यों से आने वाली दवाओं में घटकों की कमी या खराब गुणवत्ता पाई गई हो। इससे पहले भी कई बार इन राज्यों की दवाइयों के सैंपल फेल हो चुके हैं, जिससे दवा निर्माण इकाइयों पर सवाल उठ रहे हैं। इंसुलिन के इंजेक्शन अहमदाबाद से आ रहे थे।
इन दवाओं के हुए सेम्पल फैल
रेबीप्राजोल व सस्टेन रिलीज डोमपेरिडोन कैप्सूल
रेबीप्राजोल जहां उल्टी रोकने के काम आती है, वहीं डोमपेरिडोन कैप्सूल न्यूरो मेडिसिन में काम आता है। उत्तराखंड में बनी इस दवा में रेबीप्राजोल घटक नहीं के बराबर था।
बीटामेथासोन
सूजन कम करने के काम आता है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में बनी इस दवा में बीटामेथासोन घटक बेहद कम था।
निमूस्लाइड एंड पैरासीटामोल
बुखार-दर्द के काम आने वाली दवा हिमाचल के बदी में बनी है। इसमें घटक ही पहले पड़ चुके थे, यानी कि पुराने हो चुके थे।
बीथस्टिन
चक्कर आने, उल्टी रोकने के काम आती है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में बनी इस दवा में जिस मात्रा में घटक होने चाहिए थे, वे नहीं थे।
हीपेरिनसोडियम इंजेक्शन
धमनियों में थक्का रोकने के काम आती है। यह भी हिमाचल के सोलन में बनी है।
इंसुलिन इंजेक्शन
डायबिटीज कंट्रोल करने वाली इस दवा में घटक जिंक ही कम था। यह दवा अहमदाबाद से आ रही थी।

