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सम्बल शिविर तो सिर्फ एक बहाना था, मुख्यमंत्री द्वारा ट्रॉमा विवाद को निपटाना था, 22 मई का पत्र 28 मई को ही हो चुका था प्रत्याहारित

Published on: July 9, 2025

The Khabar Xpress 09 जुलाई 2025। 8 जुलाई को श्रीडूंगरगढ़ के गुसाईसर बड़ा गांव में सूबे के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा आये और श्रीडूंगरगढ़ के सबसे बड़े विवादित हो रहे मुद्दे का पटाक्षेप कर दिया। श्रीडूंगरगढ़ विधायक ताराचंद सारस्वत ने मंच पर जब जनता के सामने अभी तक के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को गिनाया तो साथ में ही अपने गांव गुसाईसर बड़ा में महाविद्यालय और श्रीडूंगरगढ़ के सबसे बड़े मुद्दे ट्रॉमा सेंटर के निर्माण की मांग रख दी।

आपके विधायक जी बहुत ही होशियार है..

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जैसे ही अपने संबोधन की शुरुआत की उन्होंने विधायक ताराचंद सारस्वत के संबोधन को ही अपना आधार बनाया और कहा कि आपके विधायक जी बड़े होशियार है। दो मिनट का कहकर अपने सारे काम गिना दिए साथ मे आपके मांगे भी रख दी। मुख्यमंत्री ने भी तत्काल ही उनकी मांगो पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रॉमा सेंटर व उपजिला अस्पताल को सरकार द्वारा बनाये जाने की स्वीकृति दे दी।

मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद ये तय हो गया है कि ट्रॉमा सेंटर व उपजिला अस्पताल अब सरकार बनाएगी। मुख्यमंत्री की घोषणा ने इस मुद्दे को ही खत्म कर दिया। अब विधायक का प्रयास इसे जल्द से जल्द शुरू करवाने का रहेगा जिसमे ये सफल भी होंगे क्योंकि वर्तमान सरकार में इनके रसूख के बारे में सबको पता है।

सम्बल शिविर तो सिर्फ एक बहाना था, मुख्यमंत्री द्वारा ट्रॉमा विवाद को निपटाना था

कल जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने श्रीडूंगरगढ़ गुसाईसर बड़ा में खुले मंच से ट्रॉमा सेंटर व उपजिला अस्पताल सरकार द्वारा बनाने की घोषणा की गई तभी से आमजन व प्रशासनिक हलकों में सिर्फ यही चर्चा सुनने के मिल रही है कि क्या मुख्यमंत्री को सिर्फ ट्रॉमा सेंटर व उपजिला अस्पताल की घोषणा करवाने के लिए ही तो उन्होंने अपने स्वयं के गांव में नहीं बुलाया था ? संगठन में अपने रसूखात एवं मुख्यमंत्री के साथ अपनी पूर्व की नजदीकियों के चलते विधायक सारस्वत काफी समय से विवादित ट्रॉमा सेंटर निर्माण के मुद्दे को जड़ से खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित थे और क्षेत्र के विभिन्न मंचो पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे चुके थे। चर्चा जोरों पर है कि दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय सम्बल शिविर तो सिर्फ एक बहाना था । मुख्यमंत्री द्वारा ट्रॉमा विवाद को निपटाना था।

कुछ सुनी-अनसुनी

गत दिनों से स्वास्थ्य विभाग के 22 मई के एक पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है जिसको बताया जा रहा है कि ये लंबे समय से जयपुर से रवाना होकर बीकानेर स्वास्थ्य विभाग पहुंचा ही नहीं। आज ईमेल के जमाने मे भी हम अगर डाक पर निर्भर है तो इसे सिर्फ हमारी मूर्खता ही कही जाएगी। बीकानेर के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक देवेंद्र चौधरी से जब हमने इस पत्र की सच्चाई जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि इस पत्र के ईमेल पर मिलने के बाद ही 28 मई को जयपुर से एक ईमेल में इस पत्र को प्रत्याहारित करने के आदेश हमे मिल चुके थे। सुनने में आ रहा है कि ट्रॉमा निर्माण के लिए 260 दिनों से ज्यादा समय से दिए जा रहे धरने पर प्रदेश सरकार द्वारा खुफिया जानकारी एकत्रित कर श्रीडूंगरगढ़ में ट्रॉमा सेंटर निर्माण में हो रही अड़चनों को दूर करने के लिए ही ये सारी कवायद हुई है।

22 मई के पत्र को कर दिया गया था प्रत्याहारित, देखे पत्र

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