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वटसावित्री पूजा आज, बन रहे कई दुर्लभ संयोग ?, सुहागिनें अपनी पति की दीर्घायु के लिए रखेगी व्रत, जान लें पूजा सामग्री, मुहूर्त व पूजन की सही विधि

Published on: June 6, 2024

The Khabar Xpress 06 जून 2024। आज 6 जून बुधवार को वटसावित्री पूजा है। पूजा को लेकर वटवृक्ष के तले, व्रतधारी सुहागिनें अपने पति के दीर्घायु की कामना करेंगी। इस बार वट सावित्री व्रत पर काफी शुभ योग बन रहा है।

ज्योतिषाचार्य पं. गोपाल शास्त्री व्यास ने बताया कि इस बार शनि जयंती होने के साथ-साथ कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है, जिसमें शुक्रादित्य, बुधादित्य, लक्ष्मी नारायण योग के साथ-साथ मालव्य का राजयोग बन रहा है।

शनिदेव की विशेष कृपा के लिए करें पूजा 

वट सावित्री के दिन ही शनि अमावस्या भी है। इसे शनि जयंती भी कहा जाता है। ऐसे में वट सावित्री का महत्व और भी बढ़ जाता है। आप अगर शनिदेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के साथ पीपल के पेड़ की पूजा भी कर सकते हैं। इससे आपको शनि के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलेगी।

उन्होंने बताया कि वट सावित्री व्रत के दिन अगर शुभ मुहूर्त पर वट वृक्ष की पूजा की जाए, तो वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

वटसावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि वट सावित्री पूजन का शुभ मुहूर्त 05 जून की शाम को 07 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। और इसका समापन 6 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगी। इस कारण वट सावित्री 6 जून को ही मनाई जाएगी। वट सावित्री का व्रत विवाहित महिलाएं पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं।

क्या है पौराणिक मान्यता ?

पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु लम्बी होने के साथ रोगमुक्त जीवन के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। वट सावित्री के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करने के साथ व्रत सावित्री की कथा भी सुनती है।

वट सावित्री व्रत पूजन विधि

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने पति का चेहरा देखें या अगर आपके पति आपसे दूर रहते हैं, तो उनकी तस्वीर देखें। फिर श्रृंगार करके पूजन सामग्री को एक थाल में रखकर पूजा की तैयारी करें।

वट वृक्ष के नीच सावित्री और सत्यवान की मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद वट वृक्ष में जल अर्पित करके फूल, भीगे चने, गुड़ और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद वट वृक्ष के चारों तरफ रोली बांधते हुए सात बार परिक्रमा करें। हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा सुनें या पढ़ें।

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