



The Khabar Xpress 22 दिसम्बर 2024। राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का योगदान न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि यह आज के समय में भी अनिवार्य है। समाज, अर्थव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति, और शिक्षा जैसे हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है और राष्ट्र को सशक्त, समृद्ध और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कलियुग में आवश्यकता है उन महिलाओं की वीरगाथा को याद कर नारी सशक्तिकरण को और मज़बूत करने की व सही दिशा प्रदान करने की। अतीत व वर्तमान में महिलाओं के योगदान का समिश्रण यहाँ विस्तार से प्रस्तुत करने की कोशिश महिलाओं में नयी ऊर्जा का संचार करेगी।
विशेष
स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का योगदान
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने साहस और नेतृत्व का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
• झांसी की रानी लक्ष्मीबाई: उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया।
• सरोजिनी नायडू: उन्हें भारत की ‘नाइटिंगेल’ कहा जाता है। उन्होंने गांधीजी के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं।
• कस्तूरबा गांधी: महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका प्रेरणादायक रही। अपनी पूरी शक्ति व समर्पण के साथ वे सत्याग्रहीयो की सेवा करती। उनका समाजसेवी तेवर, प्रेम और समर्पण देख सत्याग्रही उन्हें “बा” बुलाते थे।
• अरुणा आसफ अली: उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और तिरंगा फहराने का साहसिक कार्य किया। वीरांगना संकट व विपदाओं को देख और ज़्यादा ओजस्वी हो जाती और नारी सशक्तिकरण को मज़बूत करती।
- बेगम हज़रत महल – अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बेबाक़ी से युद्ध का ऐलान करने वाली लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी। एक ऐसी वीरांगना जिसने संपूर्ण लखनऊ में देशभक्ति की ज्योत जला दी। वे अस्त्र-शस्त्र,कुशल प्रबन्धक व लाजवाब नेतृत्व की धनी थी। उनकी देश के प्रति भक्ति ने उन्हें अमर बना दिया। इनके साथ ही अनगिनत महिलाएं गुमनाम रहते हुए भी आंदोलन और समाज सुधार में सक्रिय थीं।
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
महिलाओं का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान समाज और राष्ट्र के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ है।
• सावित्रीबाई फुले: उन्होंने भारत में महिला शिक्षा की नींव रखी और पहला बालिका विद्यालय खोला।
• अन्य योगदान: आधुनिक समय में महिलाएं शिक्षिका, प्रोफेसर, और वैज्ञानिक के रूप में शिक्षा और ज्ञान के प्रचार में अहम भूमिका निभा रही हैं।
महिलाओं की शिक्षा ने परिवार, समुदाय और पूरे राष्ट्र की सोच को बदलने का कार्य किया है। कुछ क्षेत्र में महिलाओं की कामयाबी अलग से रेखांकित करने योग्य है।
राजनीति में नेतृत्व
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी ने न केवल लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया है, बल्कि समाज के लिए नई सोच और नीतियां भी बनाई हैं।
• इंदिरा गांधी: भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश को सशक्त नेतृत्व प्रदान किया।
• प्रतिभा पाटिल: भारत की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की गरिमा को बढ़ाया।
• सुषमा स्वराज और निर्मला सीतारमण: ये महिलाएं भारतीय राजनीति और कूटनीति में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं।
महिलाओं का राजनीति में आना न केवल समाज के कमजोर वर्गों के लिए आशा की किरण है, बल्कि यह समाज में बदलाव की दिशा भी है।
अर्थव्यवस्था और उद्यमिता में योगदान
महिलाओं ने आज आर्थिक क्षेत्र में भी अपनी प्रभावी भूमिका स्थापित की है।
• स्वरोजगार और स्टार्टअप्स: महिलाएं अब उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रणी बन रही हैं। उदाहरण के लिए, फाल्गुनी नायर (Nykaa) और किरण मजूमदार-शॉ (Biocon),रूमा देवी (पारंपरिक हस्तकला कारीगर), डॉली जैन (भारतीय फैशन डिज़ाइनर) ने उद्योग जगत में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
• ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं स्वयं सहायता समूह (SHG) के माध्यम से अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रही हैं।
सामाजिक सुधार और सशक्तिकरण
महिलाओं ने सामाजिक सुधार आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
• दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन: महिलाओं ने सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए जन-जागरूकता फैलाने का काम किया।
• महिला अधिकार आंदोलन: लैंगिक समानता, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर महिलाओं ने अपनी आवाज बुलंद की है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में योगदान
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाएं न केवल पुरुषों के बराबर हैं, बल्कि कई बार उनसे आगे भी हैं।
• डॉ. टेसी थॉमस: भारत की ‘मिसाइल वुमन’ ने रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
• इसरो में महिला वैज्ञानिक: चंद्रयान और मंगलयान मिशन की सफलता में महिला वैज्ञानिकों का योगदान उल्लेखनीय है।
• महिलाएं मेडिकल साइंस, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी नेतृत्व कर रही हैं।
कला, संस्कृति और साहित्य में योगदान
महिलाओं ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है।
• साहित्य: महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, और इस्मत चुगताई जैसी लेखिकाओं ने साहित्य को एक नई दिशा दी।
• संगीत और नृत्य: लता मंगेशकर, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, और बिरजू महाराज जैसे कलाकारों ने भारतीय संगीत और नृत्य को विश्व मंच पर पहुंचाया।
स्वास्थ्य और समाजसेवा
महिलाओं ने स्वास्थ्य और समाजसेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
• मदर टेरेसा: उन्होंने समाज के गरीब और असहाय लोगों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
• महिलाएं डॉक्टर, नर्स और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज को बेहतर बनाने का कार्य कर रही हैं।
महिलाओं का योगदान राष्ट्र निर्माण के हर पहलू में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उनका सशक्तिकरण और समान भागीदारी न केवल समाज को उन्नत बनाता है, बल्कि देश को वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाता है। महिलाओं का उत्थान ही राष्ट्र का उत्थान है। अपनी शक्तिओं व सफलता का सदुपयोग करते हुए समाज में महिलायें बहुआयामी मुक़ाम हासिल करेगी व देश को सशक्त करने में अपनी भूमिका निभाएगी।

