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You are at:Home»विशेष»कितनी बड़ी विडंबना है कि शिक्षा मंदिर निर्माण के लिये भामाशाहो से लगा रहे गुहार, संकट में शिक्षा मंदिर, सरकारों से आस नहीं
विशेष

कितनी बड़ी विडंबना है कि शिक्षा मंदिर निर्माण के लिये भामाशाहो से लगा रहे गुहार, संकट में शिक्षा मंदिर, सरकारों से आस नहीं

Managing TeamBy Managing TeamNovember 10, 2024No Comments5 Mins Read
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The Khabar Xpress 10 नवम्बर 2024। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र भामाशाहो का प्रसिद्ध क्षेत्र है। यहां के भामाशाह चाहे वे स्थानीय हो या प्रवासी सभी अपनी मातृभूमि के उत्थान और विकासपरक कार्यो में योगदान में अग्रणी रहे है। कस्बे में ज्यादातर निर्माण भामाशाहो के सहयोग से ही होता रहा है। श्रीडूंगरगढ़ उपखण्ड कार्यालय हो, नगरपालिका हो, श्रीडूंगरगढ़ पुलिस थाना हो या फिर न्यायालय या हो चिकित्सालय। जहां भी जरूरत पड़ी क्षेत्र के भामाशाहो ने आगे बढ़कर अपनी मातृभूमि के लिए कर्तव्यों का निर्वहन किया। क्षेत्र के भामाशाह क्षेत्र के विकास के लिए हरदम तैयार मिले। लेकिन आज शिक्षा के मंदिर से ही भामाशाहो को गुहार लगाई जा रही है इसको बचाने की।

संकट में है ये शिक्षा मंदिर

श्रीडूंगरगढ़ में बालिका शिक्षा के लिए कस्बे के मुख्य बाजार में राजकीय सीनियर सेकेंडरी विद्यालय बना हुआ है तो प्राथमिक शिक्षा के लिए कस्बे के कालुबास में माहेश्वरी प्राथमिक विद्यालय या फिर राष्ट्रीय राजमार्ग पर राजकीय रूपा देवी स्कूल। वहीं विज्ञान वर्ग सहित चारो संकायों के लिये राजकीय हाई स्कूल बना हुआ है जिसमे छात्र एवं छात्रायें दोनों अध्ययन करते है। क्षेत्र का ये सबसे बड़ा सरकारी विद्यालय है।

राजकीय बालिका सीनियर सेकेंडरी विद्यालय

बालिका शिक्षा की एकमात्र राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल कस्बे के मुख्य बाजार में उपजिला अस्पताल के सामने स्थित है। श्रीडूंगरगढ़ की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ये क्षेत्र बरसाती समय मे निचले क्षेत्र में आता है जहां जलभराव होता है। लेकिन इस विद्यालय की स्थिति उससे भी बदतर हालत की हो जाती है क्योंकि ये विद्यालय मुख्य सड़क से लगभग चार फिट नीचे चला गया है। बरसाती दिनों में हालात इतने बिगड़ जाते है कि छात्राओं के पढ़ने वाले कक्षो में भी तीन तीन फीट तक पानी चला आता है।

शाला प्राचार्या श्रीमती पदमा कौशिक ने बताया कि इस विद्यालय का ढांचागत निर्माण भी क्षतिग्रस्त हो गया है। थोड़ी सी बरसात में पानी कक्षाओं में चला आता है जिससे विद्यार्थियों के अध्ययन में रुकावट आती है और विद्यालय में अवकाश रखना पड़ता है। शाला का भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है। छात्राओं को बैठने की भी समुचित व्यवस्था नही है और ना ही उनके ये कोई मूलभूत सुविधाएं ही है। कौशिक ने की 50 साल पुराने भवन की हालत बदतर हो चुकी है और न ही बालिकाओं के बैठने की समुचित व्यवस्था है।

प्राचार्य ने लगाई भामाशाहो से गुहार

शाला प्राचार्य श्रीमती पदमा कौशिक ने अखबार में इश्तिहार देकर इस बालिका विद्यालय को बचाने की गुहार लगाई है और क्षेत्र के भामाशाहो को इस विद्यालय के प्रति विचार करने की अपील की है।

राजकीय सीनियर सेकेंडरी विद्यालय

श्रीडूंगरगढ़ का मुख्य विद्यालय जो कला, वाणिज्य, विज्ञान और कृषि संकाय का एकमात्र राजकीय प्रतिष्ठान है जहां पर छात्र एवं छात्रायें दोनों ही विद्यापार्जन करते है। इस विद्यालय के निर्माण को अस्सी वर्ष के करीब हो गए है। विद्यालय के प्रिंसिपल डॉ मनीष सैनी ने बताया कि विद्यालय के कमरे पुराने हो चुके है साथ ही पूरा विद्यालय सड़क मार्ग से नीचे होने के कारण उसमें जलभराव वना रहता है। विद्यालय के पिछले भाग में बरसाती पानी से तालाब बन जाता है जो कई महीनों तक भरा रहता है। इस स्थिति से निपटने के लिए वर्तमान में विद्यालय के पिछले हिस्से में तीन फीट की भरती करवाई गई है। सैनी ने बताया कि विद्यालय का भवन जर्जर हालत में है और इसके मरम्मत के लिए भी सरकारी अनुदान न के बराबर है। विद्यालय भवन की स्थिति ऐसी है कि खंडहर में बदलते इस भवन को जल्द ही नवनिर्माण नही करवाया गया तो आगे छात्रों का क्या भविष्य होगा ये भयावह ही है। सरकार को कई वर्षों से इस बारे में अवगत करवाया जा रहा है। विगत वर्षों में पूर्व छात्रों द्वारा शाला के मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण करवाया गया था। सैनी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षण स्थिति भी खराब है शिक्षकों के पद रिक्त पड़े है जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। जबकि सत्र खत्म होने को आ रहा है।

राजकीय माहेश्वरी बालिका उ.प्रा. विद्यालय

किसी जमाने में कस्बे के भामाशाहो द्वारा निर्मित कालुबास का राजकीय माहेश्वरी बालिका उ.प्रा. विद्यालय अपनी अपेक्षा पर बदहाली के आंसू बहा रहा है। विद्यालय की हालत ये है कि इसके आगे और पीछे की गलियां इससे 6फिट ऊंची हो गयी है। कमरों के बराबर गंदे पानी की नाली है जिससे रिस-रिस कर पानी कमरों में आजाता है। पूरे साल कक्षा कक्ष बदबू तो मारते ही है साथ ही गंदगी से उत्पन्न बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है। दीवारें तो खोखली हो ही चुकी है साथ ही छत भी बरसात में झरती रहती है।

राजकीय रूपा देवी मोहता सेकेंडरी स्कूल

राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित राजकीय रूपा देवी मोहता स्कूल की स्थिति भी कमोबेश यही है। ये विद्यालय भवन दो मंजिला है लेकिन इसकी दूसरी मंजिल ही सड़क के बराबर है। राजमार्ग के पुनर्निर्माण के दौरान सड़क की ऊंचाई इतनी हो गयी कि पहली मंजिल ही इस सड़क से नीचे डूब गई। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को भी विद्यालय में आने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

सरकार से नहीं आस, भामाशाहो की जोह रहे बाट

हालात तो ये है कि कोई भी सरकार और राजनेता इन शिक्षा मंदिरों में 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम में शिरकत तो करते है लेकिन इन नोनिहालो के भविष्य को लेकर कोई चिंता नही करते है। इनकी आंखों के सामने विद्यालय भवन की बदतर स्थिति बनी रहती है लेकिन इन हालातों से निपटने के लिये अपनी आंखें फेर लेते है। अब ये शिक्षा मंदिर सरकारी सहायता को तो तरस ही गये है और सरकारों से आस नहीं है लेकिन अपने भामाशाहो की बाट जरूर देख रहे है।


Sridungargarh News एज्युकेशन भामाशाहो शिक्षा शिक्षा के मंदिर श्रीडूंगरगढ़ समाचार
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