



The Khabar Xpress 05 जनवरी 2025। 5 साल पहले की बात है चीन में कोरोना वायरस नाम की एक बीमारी फैली थी, जिसने दुनियाभर में तबाही मचाई थी. अब एक बार फिर से चीन में एक वायरस फैल रहा है. चिंता की बात यह है कि इस वायरस के अधिकतर लक्षण कोरोना से मिलते हैं. हालांकि वायरस का नाम ह्यूमन मोटान्यूमो वायरस (human metapneumo virus) है लेकिन इससे संक्रमित होने वाले लोगों में खांसी-जुकाम और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर से लोगों में चिंता बढ़ रही है.
चीन सीडीसी का कहना है कि ह्यूमन मोटान्यूमो वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. दो साल से कम उम्र के बच्चों में इस वायरस के ज्यादा मामले आ रहे हैं. जिन लोगों को पहले से सांस की कोई बीमारी है उनको ज्यादा खतरा बताया जा रहा है. चूंकि ये वायरस संक्रामक है और एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है ऐसे में चीन का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और वायरस की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग भी चल रही है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन में इस वायरस से इमरजेंसी जैसे हालात है. ह्यूमन मोटान्यूमो वायरस कितना खतरनाक है. क्या भारत में भी इसका रिस्क होगा? ऐसे सवालों का जवाब भारत के एक्सपर्ट ने दिए है।
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क्या है ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस
महामारी विशेषज्ञ बताते हैं कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) एक वायरस है जिसके लक्षण आमतौर पर सामान्य सर्दी के जैसे होते हैं. हालांकि ये वायरस लंग्स पर असर करता है और कभी-कभी यह निमोनिया, अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी बीमारियों के मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है. आमतौर पर इस वायरस के मामले बच्चों में देखे जाते हैं. ये कुछ मामलों में बच्चों में होने वाली आम बीमारी आरएसवी इंफेक्शन जैसा ही होता है. जो बच्चों में खांसी-जुकाम और बुखार जैसी समस्या करता है.
दुनियाभर के बच्चों में लगभग 10% से 12% सांस संबंधी बीमारियां HMPV के कारण ही होती हैं. अधिकांश मामले हल्के और कम लक्षण वाले होते हैं, लेकिन लगभग 5% से 16% बच्चों में निमोनिया विकसित होने का रिस्क रहता है. निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है जो अगर समय पर काबू में न आए तो जानलेवा भी साबित हो सकती है. ऐसे में अगर ये वायरस किसी बच्चे में निमोनिया करता है तो उसकी सेहत का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है.
चीन में फैल रहे वायरस से क्या डरना चाहिए?
दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस कोई नई बीमारी नहीं है. ये एक दशकों पुराना वायरस है. पहली बार 2001 में इसकी पहचान हुई थी. ये वायरस सभी तरह के मौसम में वातावरण में मौजूद होता है. दुनिया के कुछ देशों में इसके मामले पहले भी रिपोर्ट किए जाते रहे हैं. ये वायरस 5 साल से छोटे बच्चों को ज्यादा संक्रमित करता है, लेकिन अधिकतर मामलों में लक्षण हल्के ही होते हैं. ऐसे में भारत में पैनिक होने की जरूरत नहीं है.
डॉ कुमार कहते हैं कि इस वायरस की संक्रामकता दर भले ही अधिक है, लेकिन ये घातक नहीं है. अधिकतर बच्चों में सामान्य सर्दी- खांसी के लक्षण होते हैं. कुछ मामलों में ही ये वायरस सांस की बीमारी का कारण बनता है. या निमोनिया करता है. लेकिन फिलहाल ये जरूरी है कि WHO चीन में फेल रहे इस वायरस को गंभीरता से ले. अगर केस ज्यादा आ रहे हैं तो इस बाबत दिशा- निर्देश जारी करे.
ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस का क्या कोई इलाज है?
ऐसी कोई भी एंटीवायरल दवा नहीं है जो मानव मेटान्यूमोवायरस का इलाज करती हो. अधिकांश लोगों का इलाज लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है. यदि आपका बच्चा गंभीर रूप से बीमार हैं, तो आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है. डॉक्टरऑक्सीजन थेरेपी और लंग्स इंफेक्शन से बचाव वाली दवाओं से ट्रीटमेंट करते हैं. इस वायरस के लिए कोई एंटीबायोटिक दवा भी नहीं है.
इस वायरस से बचाव कैसे करें
अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएं.
जब आप छींकते या खांसते हैं तो अपनी नाक और मुंह को ढकें
जब आप या वे सर्दी या अन्य संक्रामक बीमारियों से पीड़ित हों तो अन्य लोगों के आसपास रहने से बचें
यदि आप बीमार हैं और दूसरों के आसपास रहने से बच नहीं सकते तो मास्क पहने

