




The Khabar Xpress 21 सितम्बर 2024। गत मंगलवार 17 सितंबर को अलसुबह तोलियासर के निकट कार चालक द्वारा दो महिलाओं सहित एक युवती को टक्कर मारने पर एक महिला और एक युवती की दुर्घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी और एक अन्य को घायल अवस्था मे बीकानेर ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया था। दुर्घटना को अंजाम देने के बाद कार सवार घटनास्थल से भाग गये थे। इस घटना के विरोध स्वरूप श्रीडूंगरगढ़ नगरवासियों ने उग्र प्रदर्शन कर हाईवे जाम कर दिया था। परिजनों ने मृतकाओ के शव लेने से इनकार कर दिया था। कई घण्टो तक हजारों लोगों ने पुलिस थाना श्रीडूंगरगढ़ का घेराव करके दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की थी।
परिजनों और प्रशासन की मध्यस्थता के बाद हाईवे का जाम खुलवाया गया और जल्द ही गिरफ्तारी का आश्वासन देने के बाद नागरिकों और परिजनों द्वारा मृतकाओ के शव लेने पर रजामंदी हुई थी। परिजनों ने अगले दिन बुधवार को पोस्टमॉर्टम के बाद उनका दाह संस्कार कर दिया।
आखिर कब मिलेगा इंसाफ..?
मंगलवार 17 सितंबर को दुर्घटना होने के बाद भी पुलिस प्रशासन दोषियों को गिरफ्तार नही कर पाया है। दुर्घटना के इतने दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। घटना के विरोध को देखते हुए पुलिस ने कुछ लोगो को राउंड अप तो किया था लेकिन अभी तक दोषी उनकी पहुंच से दूर है। थानाधिकारी इन्द्रकुमार ने बताया कि दोषियों की तलाश जारी है। जल्द ही इनको गिरफ्तार करके कानूनी कार्यवाही की जाएगी। दोषियों को किसी भी हालत में बक्शा नहीं जायेगा।
उजड़ा पूरा परिवार
श्रीडूंगरगढ़ के आडसर बास निवासी जगदीश सारस्वत के इकलौते पुत्र आनंद की पुत्रवधु थी दुर्घटना में जान गंवाने वाली स्व. राखी सारस्वत। जगदीश सारस्वत ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह 14 साल पहले हुआ था। लेकिन नियति को कुछ ओर ही मंजूर था जो आज से तीन साल पहले उनकी धर्मपत्नी का असामयिक निधन हो गया। जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी पुत्रवधू स्व. राखी सारस्वत के ऊपर आ गयी। अपनी धर्मपत्नी के निधन से ये संभले ही नही थे कि काल ने अपने क्रूर हाथों से ही हंसते खेलते परिवार को फिर से ना भूलने वाला गम दे दिया। इस हंसते खेलते खुशहाल परिवार का एकमात्र आधार स्तम्भ स्व. राखी सारस्वत भी काल का ग्रास बन गयी। इस मौत ने इस पूरे घर की नींव को हिला दिया। हालात ये है कि जगदीश सारस्वत की 6 साल की दो जुड़वा पोतियों काव्या और कनिष्का के सर से माँ का साया ही नही हटा अपितु पूरा घर ही सुना हो गया है। इस घर का क्या होगा ये तो भविष्य के गर्त में है लेकिन अबतक इनके मन मे मलाल है कि दोषियों पर प्रशासन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर पाया। वे इनकी पहुंच से दूर है।
स्व. राखी सारस्वत के साथ ही उनकी ननद (काका श्वसुर की नातिन) 20 वर्षीय पलक पुत्री नथमल ममता देवी तावणियाँ बिग्गा निवासी ने भी उस दुर्घटना में अपने प्राण गवां दिए थे। स्व. पलक का यहाँ ननिहाल था और ये अपने ननिहाल में रहकर अपनी पढ़ाई कर रही थी साथ ही छोटे बच्चों को भी पढ़ाया करती थी। अपने घर मे सबसे बड़ी पलक पर जिम्मेदारियां भी बड़ी थी। उसके तीन छोटी बहन और एक दिव्यांग भाई है। दिव्यांग भाई के शरीर में सिर्फ उसकी आंखे ही स्वस्थ है। अब इन्ही सुनी आंखों से वो अपनी बहन का इंतजार कर रहा है।
पूरा नगर, समाज और परिजन सिर्फ इस आस में है कि आखिर उन्हें कब मिलेगा इंसाफ…? और कब होगी दोषियों पर कार्यवाही…?
