The Khabar Xpress 23 अगस्त 2025। राजस्थान में पंचायती राज चुनाव की आहट तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी तैयारी का शंखनाद करते हुए मतदाता सूचियां जारी करने का कार्यक्रम तय कर दिया है। आयोग की गाइडलाइन के अनुसार ग्राम पंचायत वार्ड, पंचायत समिति और जिला परिषद स्तर पर अलग-अलग वोटर लिस्ट तैयार की जाएगी। इसके लिए 1 जनवरी 2025 की स्थिति को आधार मानकर मतदाता सूची को अपडेट किया जाएगा। इस संबंध में शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने नोटिफिकेशन जारी किया।
राजस्थान में इस साल बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन्हीं के साथ पंचायती राज संस्थाओं के आम चुनाव भी होने हैं। राज्य की 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2025 में और 704 पंचायतों का मार्च 2025 में पूरा हो चुका है। इसके अलावा 3847 पंचायतों का कार्यकाल सितंबर-अक्टूबर 2025 में समाप्त हो जाएगा। ऐसे में पंचायत चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार और चुनाव आयोग को समय पर चुनाव कराने के निर्देश दिए थे।
मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण अनिवार्य
राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने बताया कि चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण करवाया जाएगा। ये प्रक्रिया राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 और राजस्थान पंचायती राज (निर्वाचन) नियम, 1994 के तहत पूरी होगी। मतदाता सूची के लिए 1 जनवरी 2025 को आधार माना गया है। इसी के अनुसार ग्राम पंचायतों की वोटर लिस्ट बनाई जाएगी। इसके बाद फिजिकल वेरीफिकेशन कराकर सूची का प्रारंभिक प्रकाशन किया जाएगा। चुनावों के लिए तीन स्तरों पर मतदाता सूचियां तैयार होंगी –
- ग्राम पंचायत के वार्डवार सूची
- पंचायत समिति निर्वाचन क्षेत्रवार सूची
- जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्रवार सूची
ग्राम पंचायत की वार्डवार सूची को आधार बनाकर पंचायत समिति और जिला परिषद की मतदाता सूची तैयार की जाएगी, यानी अलग से नई सूची बनाने की जरूरत नहीं होगी, केवल पंचायतों की वार्डवार सूचियों को जोड़कर बड़ी सूची बनाई जाएगी. हालांकि, इन सूचियों का अलग-अलग प्रकाशन अनिवार्य रहेगा।
आगे की प्रक्रिया–
निर्वाचक नामावलियों की तैयारी का काम जिला निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में होगा और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी इसकी जिम्मेदारी निभाएंगे। प्रारूप प्रकाशन के बाद दावा-आपत्ति की प्रक्रिया चलेगी और आखिर में अंतिम सूची प्रकाशित होगी। इसी के आधार पर पंचायत चुनाव कराए जाएंगे।
- 29 सितम्बर को पंचायत चुनाव की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट
- 30 अक्टूबर को फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी
- वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशन 20 सितंबर तक करना होगा
- 5 अक्टूबर तक दावे और आपत्तियां पेश कर सकेंगे
- 29 और 30 सितम्बर को विशेष अभियान रहेगा
- 12 अक्टूबर तक दावे और आपत्तियां का निस्तारण करना होगा
- 24 अक्टूबर तक पूरक लिस्ट तैयार होगी
- 29 अक्टूबर तक वोटर लिस्ट का फाइनल प्रकाशन होगा
वन स्टेट वन इलेक्शन पर मंत्री खर्रा बोले – एक्ट में संशोधन जरूरी हुआ, तो वह भी किया जाएगा
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने अभी भी दिसंबर 2025 में राज्य की सभी 309 नगरीय निकायों के एक साथ चुनाव कराए जाने का दावा किया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कानून में संशोधन करने की आवश्यकता होगी तो वह भी किया जाएगा। हाल ही में पंचायती राज चुनावों को लेकर उच्च न्यायालय का निर्णय आया है, इसमें छह महीने के भीतर इन चुनावों के आयोजन के निर्देश दिए गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट के आदेश के तहत अगले दो महीनों में सारी प्रक्रियाएं पूरी कर चुनाव कराने की बात कही है। आयोग ने यह भी दावा किया है कि आगामी 10 दिनों में निकाय और पंचायती राज चुनावों की घोषणा कर दी जाएगी। साथ ही आयोग ने कहा कि संविधान में संशोधन न होने तक ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ के विचार पर अमल करना संभव नहीं है।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि जिस तरह की तैयारियां हैं, उसके मुताबिक छह महीने की अवधि से पहले ही चुनाव करा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार शुरू से ही इसका प्रयास कर रही है कि दिसंबर 2025 में राजस्थान के सभी 309 नगरीय निकायों के चुनाव ‘एक राज्य, एक चुनाव’ के तहत हों। उनका मानना है कि उच्च न्यायालय का यह निर्णय सरकार के रास्ते में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करेगा, क्योंकि छह महीने की अवधि फरवरी 2026 में समाप्त होगी, जबकि सरकार दिसंबर 2025 में ही चुनाव कराना चाहती है।
चुनाव आयोग द्वारा ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ को अव्यावहारिक बताए जाने पर मंत्री खर्रा ने कहा कि नगरीय निकायों और पंचायती राज के चुनावों में एक बड़ा अंतर यह है कि नगरीय निकायों का कार्यकाल फरवरी 2026 में समाप्त होगा, जबकि पंचायती राज निकायों के कार्यकाल में काफी अंतर है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग की टिप्पणी पर वह अधिक कुछ कहना नहीं चाहते। उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले की प्रमाणित प्रति मंगवाई जा रही है। इसका अध्ययन किया जाएगा, कानूनी राय ली जाएगी और यदि कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी, तो उसमें संशोधन भी किया जाएगा।
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