The Khabar Xpress 22 अगस्त 2024। पिछली कांग्रेस सरकार के पट्टा अभियान में श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका में कितने फर्जी पट्टे बनाये गए ये शोध का विषय है। इससे भी बड़ा विषय ये है कि इस अभियान में गरीबो के पट्टे बने या ना बने हमारे लोक लाडले, निर्भीक, निष्पक्ष, ईमानदार, निडर, सेवाभावी और युवा पार्षदो ने अपने व अपनों के नाम पर कितने पट्टे बना लिए ?
श्रीडूंगरगढ़ की जनता अब शायद ही युवा पार्षदो पर भरोसा कर पाए क्योंकि इन युवाओं ने पूरे शहर में अपने द्वारा किये भ्रष्टाचार का नगाड़ा बजा दिया है।
चुनावों में जिन्हें लोक लाडले, निर्भीक, निष्पक्ष, ईमानदार, निडर और सेवाभावी कहा गया है वे बाद में निर्भीक होकर भ्रष्टाचार करते रहे। “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है” शायद यही सोच हमारे जनप्रतिनिधियों की हो चुकी है।
श्रीडूंगरगढ़ के वार्ड 35 के युवा पार्षद ने कस्बे के ही आडसर बास निवासी के राजशाही पट्टे पर जालसाजी से पट्टा बना लिया गया। जिसके रहस्योद्घाटन के बाद पार्षद द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बड़ी मासूमियत से अपने आप को बेगुनाह साबित करने का प्रयास किया गया और अन्य लोगो (हालांकि अन्य लोग कौन है वो आजतक ज्ञात नहीं हुआ) के द्वारा धोखे में रखकर हस्ताक्षर करना बताया गया (जबकि ऐसा होना असंभव है)। इन्ही मासूम पार्षद का एक ओर कारनामा सामने आया है जिस नानू देवी चांडक स्कूल के पीछे और कॉलेज के पास जो कब्जेधारी है उनको भी पट्टा जारी करने के लिए श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका चेयरमैन मानमल शर्मा द्वारा स्पष्ट मना कर दिया गया था। वही पर अब युवा पार्षद के भाई मंजीत आसोपा के नाम से नगरपालिका की बेशकीमती जमीन पर फर्जी पट्टा सामने आया है। इस पट्टे के पट्टा विलेख में भी कई खामियां है। पट्टा विलेख पत्र में पट्टाधारक के हस्ताक्षर मौजूद नही है। पट्टे के ब्लू प्रिंट और पट्टा विलेख पत्र में पट्टे के आसे-पासे में ही भिन्नता है। ये भी समझ से बाहर है कि उपपंजीयक शाखा में भी बिना पट्टाधारक के हस्ताक्षर और आसपास के विवरण मिलाया जाता है कि नहीं या फिर वहां भी आंखे बंद करके काम किया जा रहा है। रजिस्ट्री के गवाह में युवा पार्षद के हस्ताक्षर भी है।
जिस तरह से हर रोज पट्टे सामने आ रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष मानमल शर्मा द्वारा अपने पसंदीदा पार्षदो को खुलेआम फर्जीवाड़ा करने की खुली छूट दी गयी थी। अब तो जब तक पट्टा अभियान के अंतर्गत जितने भी पट्टे बनाये गए थे उन सभी की जांच नहीं होगी तब तक ये सामने नहीं आएगा कि किन पार्षदो, जनप्रतिनिधियों एवं युवा नेताओ ने किस किस जगह कितने पट्टे बनवा लिए थे।
आमजन का मानना है कि श्रीडूंगरगढ़ के तत्कालीन पटवारी, गिरदावर, नगरपालिका के भूमि शाखा के अधिकारी, तत्कालीन ईओ और नगरपालिका अध्यक्ष मानमल शर्मा द्वारा दिये गए सभी पट्टों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये।
जब इस प्रकरण के बारे में श्रीडूंगरगढ़ विधायक ताराचन्द सारस्वत से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कांग्रेस राज के पट्टा अभियान में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ है। उस भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी जनप्रतिनिधि और किसी भी पार्टी के सदस्यों द्वारा किया गया भ्रष्टाचार जनता के विश्वास के साथ धोखा है। मैं ऐसे किसी भी भ्रष्टाचारी का समर्थन नहीं करता। विधानसभा में मैने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है और आगे भी उठाऊंगा, साथ ही सरकार से मांग करूंगा कि एक जांच कमेटी बनाकर निष्पक्ष जांच की जाए तथा दोषियों पर कठोर कार्यवाही की जाए।



