The Khabar Xpress 14 अगस्त 2024। सावन मास में कांवड़िये भक्ति भाव से महादेव का अभिषेक करने के लिये हर हर महादेव के जयकारों के साथ पैदल यात्रा करते है । महादेव के भक्त भोलेनाथ का अनेक प्रकार से अभिषेक करते है और पूजन करते है। श्रीडूंगरगढ़ के सूरत गुजरात प्रवासी लीलाधर ओझा के दो नन्हे पुत्रो अभिषेक व नीरज ने भी महादेव के जलाभिषेक के लिये कांवड़ उठाई और 20 किलोमीटर से भी लंबी पदयात्रा करके डुंगरागांव स्थित भीमनाथ महादेव मंदिर में परिवार सहित अभिषेक किया। ओझा ने बताया कि गत वर्ष भी इन्होंने कांवड़ पदयात्रा करके महादेव का अभिषेक किया था।


भीमनाथ महादेव मंदिर का इतिहास
गुजरात देवो का प्रदेश है। गुजरात मे बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे बड़े ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के साथ जगह जगह पर बहुत से मंदिर है और शिवालय भी बहुत ज्यादा है। राजकोटसे 50 किलोमीटर की दुरी पर – मोरबी हाईवे- लज्जई गाँव के पास भीमनाथ महादेव बिराजमान है।
कहा जाता है कि पांडवों ने अपना अज्ञात (गुप्त) वास यहाँ गुजरात मे निकाला था। गुजरात (तत्कालीन सौराष्ट्र) के गीर में बानेज, भीमचास, पातालेश्वर, भावनगर के पास निष्कलंक महादेव, दीव में गंगेश्वर महादेव और कई ऐसे स्थान है जहाँ पांडव आये थे। इसी प्रकार भीमनाथ महादेव की स्थापना भी 5000 पूर्व हुई थी। पांच पांडव में भीम और सहदेव 5000 साल पहले यहाँ श्रापित जोगनीयो को मोक्ष दिया था और शिवलिंग की स्थापना भीम ने की थी इसलिए शिवलिंग का नाम भीमनाथ महादेव रखा है।
