The Khabar Xpress 31 मई 2024। हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को तंबाकू सेवन से होने वाले खतरों के प्रति जागरूक करना है। तंबाकू सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। इससे मुंह गले फेफड़े गुर्दे का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि कुछ तरीके अपनाकर तंबाकू को आसानी से छोड़ा जा सकता है।
तंबाकू का सेवन भारत में बहुत ही आम है, लेकिन इसके खतरों का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दुनियाभर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत तंबाकू सेवन से हो जाती है। तंबाकू में मौजूद निकोटीन सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह होता है और यह कैंसर की भी वजह बन सकता है। चाहे इसका सेवन चबाकर करें या धूम्रपान के जरिए इसमें मौजूद कार्सिनोजनिक तत्व शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। तंबाकू खाने वाले ज्यादातर लोगों का मुंह पूरी तरह नहीं खुल पाता। मुंह के अंदर दोनों तरफ सफेद लाइन बनना कैंसर का संकेत है। समय रहते इस ओर ध्यान न दिया जाए, तो ये बहुत गंभीर हो सकता है।
पुरुषों में 50 व महिलाओं में 20 % कैंसर की संभावना:

श्रीडूंगरगढ़ के संजीवनी हॉस्पिटल के संचालक डॉ. के.एल. शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत तम्बाकू उत्पादों के इस्तेमाल करने पर 50 प्रतिशत पुरुषों एवं 20 प्रतिशत महिलाओं में कैंसर होने की संभावना होती है। इससे 40 प्रतिशत टीबी एवं अन्य रोगों के होने की भी आशंका रहती है। तम्बाकू सेवन के कारण मधुमेह, फेफड़ों की गंभीर बीमारी, स्ट्रोक, अंधापन, नपुसंकता, टीबी एवं कैंसर आदि रोग हो सकते हैं।
दो तरह से किया जाता है इसका सेवन
धूम्रपान के जरिए
इसमें ऐसे उत्पाद आते हैं, जिनका जलाकर सेवन किया जाता है। इसमें धुआं उत्पन्न होता है।
धु्आं रहित उत्पाद के जरिए
इसमें ऐसे उत्पाद आते हैं जिन्हें जलाया नहीं जाता। इन्हें चबाकर या चूसकर खाया जाता है। एक तीसरा ऑप्शन नाक से सूंधने का भी है। इससे ये मुंह या नाक के जरिए सीधे शरीर में जाता है। धुआं रहित तंबाकू में निकोटीन, आर्सेनिक, लेड व फॉर्मेल्डिहाइड जैसे खतरनाक केमिकल्स होते हैं। धुआं रहित तंबाकू उत्पाद में हानिकारक केमिकल्स का लेवल धूम्रपान की तुलना में थोड़ा कम होता है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि ये उत्पाद धूम्रपान का सेफ ऑप्शन हैं।
डॉ. दिनेश पेंधारकर, निदेशक – सर्वोदय कैंसर संस्थान, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, कैंसर केयर, हेमेटोलॉजी और बीएमटी, पेडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी, सर्वोदय अस्पताल, फरीदाबाद का कहना है कि, तंबाकू का शरीर पर गहरा और हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जो लगभग हर अंग को प्रभावित कर सकता है। जब तंबाकू को सिगरेट की तरह पिया जाता है या चबाकर खाया जाता है, तो इसमें निकोटीन, तार और कार्बन मोनोक्साइड जैसे हजारों हानिकारक केमिकल शरीर में जाते हैं। निकोटीन, एक बहुत ही हानिकारक पदार्थ है, जो ब्लड वेसेल्स को सुंकचित करता है, ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। जिससे हार्ट अटैक व स्ट्रोक जैसे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, तंबाकू धुएं में मौजूद तार में कैरिनोजेन होता है जो फेफड़ों की टिशूज को नुकसान पहुंचाता है, जिससे फेफड़े के कैंसर हो सकता है। ये तंबाकू से होना वाला सबसे आम कैंसर है।
फेफड़ों के अलावा, तंबाकू का उपयोग मुंह, गला, उदर, पेट, मूत्राशय, और गर्भाशय जैसी अन्य कैंसर की भी वजह बन सकता है। इसके अलावा तंबाकू का धुआं श्वसन प्रणाली को कमजोर बनाता है, जिससे क्रॉनिक ऑबस्ट्रक्टिव पुल्मोनरी रोग (सीओपीडी), क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसीमा जैसी बीमारियों की होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं तम्बाकू का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर करने लगता है, जिससे व्यक्ति आसानी से इन्फेक्शन का शिकार हो सकता है।’

बढ़ जाता है इन जानलेवा बीमारियों का खतरा
1. मुंह, गला, फेफड़े, कंठ नली, मूत्राशय, गुर्दा, पैंक्रियाज कैंसर।
2. तम्बाकू सेवन से ब्रोंकाइटिस व इम्फीसिया जैसी सांस से जुड़ी बीमारियों हो सकती हैं।
3. इरेक्शन की प्रॉब्लम बढ़ जाती है।
4. दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा।
5. मसूडों का रंग गहरा होने लगता है और दांतों पर उनकी पकड़ कम होने लगती है, जिससे दांत कमजोर होने लगते हैं।
6. मुंह से बहुत ही गंदी बदबू आती रहती है।
7. मुंह में सफेद चकत्ते बनना, जो गाल, मसूडे, होंठ या जीभ के कैंसर में बदल सकते हैं।
8. गर्भावस्था के दौरान तंबाकू का इस्तेमाल करने से शिशु का जन्म समय पूर्व हो सकता है। साथ ही इससे बच्चे की जान को भी खतरा होता है।
9. निकोटीन से ब्लड प्रेशर बढ़ना, धड़कन अनियमित होने जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। जिससे चलते व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
तंबाकू से होने वाले खतरों को रोकने के लिए तंबाकू उत्पाद के इस्तेमाल को लेकर नियमों को मजबूत करने की जरूरत है। खासतौर से नाबालिगों के लिए। लोगों को तंबाकू सेवन, विशेष रूप से वेपिंग के खतरों के बारे में जागरूक करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।