The Khabar Xpress 15 अप्रेल 2024। डिजिटल युग मे सोशल मीडिया आज के युवाओं की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। कुछ घंटे भी इससे दूर रहना युवाओं को किसी बड़ी चुनौती के जैसा लगने लगता है। एक ओर जहां सोशल मीडिया को ज्ञान का भंडार माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े अपराधों और साइड इफेक्ट्स की लिस्ट भी लंबी होती जा रही है। साइबर बुलिंग, पियर प्रेशर, साइबर ठगी आदि नया संकट बन गए हैं। इतना ही नहीं सोशल मीडिया और प्लेटफॉर्म के कारण कई युवा टेंशन, डिप्रेशन, एंग्जायटी के शिकार भी हो रहे हैं। प्रैक्टो की मनोचिकित्सक डॉ. कनिष्का मील का कहना है कि सोशल मीडिया आज के युवाओं को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। क्या हैं इसके ज्यादा उपयोग के नुकसान, आइए जानते हैं।
सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी
सोशल मीडिया पर अक्सर लोग अपनी उपलब्धियां, लग्जरी, वैकेशन, आउटिंग, शॉपिंग आदि से रिलेटेड पोस्ट करते हैं। हालांकि आप इनके पीछे की असलियत नहीं जानते, लेकिन कई युवा फिर भी इससे काफी प्रभावित हो जाते हैं। डॉ. मील के अनुसार सोशल मीडिया पर अक्सर लोग खुद की जानकारियों को एडिट करके डालते हैं। कई बार इनके कारण दूसरे युवा इससे अपनी तुलना करने लगते हैं। ऐसे में उनमें सेल्फ रिस्पेक्ट और सेल्फ कॉन्फिडेंस दोनों की कमी होने लगती है। वास्तविक की कमी के कारण युवा गहरे संबंध नहीं बना पाते हैं।
हम भूल जाते हैं जीना
आपने देखा होगा कि अक्सर लोग सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने के जोश में फोटो खिंचवाने में ही बिजी रहते हैं। ऐसे में वे असल फंक्शन या इवेंट को एंजॉय करना ही भूल जाते हैं। वे लोगों से मिलने की जगह अच्छी फोटो क्लिक करवाने पर ज्यादा फोकस करते हैं। भले ही आपको ये बात नॉर्मल लगे, लेकिन असल में आपने सोशल मीडिया के चक्कर में बहुत कुछ खो दिया है। आप जो क्वालिटी टाइम अपनों के साथ बिता सकते थे, वो अपने फोटोज को समर्पित कर दिया। वहीं जब आप ये फोटोज सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं तो बार-बार लाइक्स और कमेंट चेक करते हैं। इस जुनून का आपकी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।
फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर असर
डॉ. कनिष्का का कहना है कि इंटरनेट, सोशल मीडिया और फोन का ज्यादा उपयोग यूजर की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर असर डालता है। इससे आपकी नींद का पैटर्न प्रभावित होता है, जो कई बीमारियों का कारण है। ज्यादा मोबाइल देखने से ब्लू लाइट सिंड्रोम हो सकता है। इसी के साथ नेचुरल स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन का लेवल भी कम हो सकता है। शॉर्ट वीडियो और रील देखते समय कितना समय निकल जाता है, लोगों को इसका अंदाजा ही नहीं लगता। ऐसे में उनके फोकस में कमी आने लगती है। अगर आप स्टूडेंट हैं तो आपकी परफॉर्मेंस पर इसका असर साफ नजर आ सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार 17 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रतिदिन 2 घंटे से कम का स्क्रीन टाइम रखना चाहिए।
इन बातों पर दें ध्यान
ये बात सही है कि आज के समय में मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर नहीं रहा जा सकता है। लेकिन इनका सीमित उपयोग करके आप हेल्दी रह सकते हैं। कई बार सोशल मीडिया के कारण टेंशन, डिप्रेशन, एंग्जायटी इस हद तक बढ़ जाती है कि लोग सुसाइड करने तक की सोचने लगते हैं। कई बार युवा अपने लुक्स और बॉडी को लेकर भी बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस करने लगते हैं,जो गलत है। ऐसे में आउटडोर एक्टिविटी में ज्यादा हिस्सा लेकर आप इन परेशानियों से दूर रह सकते हैं। इससे आप फीजिकली भी फिट रहेंगे और मेंटली भी।
Disclaimer: हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉर्मेशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारी या विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए।