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जब सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का, नगरपालिका कर्मचारी ने ही नियमो को ताक पर रखकर बना लिया पट्टा

Published on: July 27, 2025

The Khabar Xpress 27 जुलाई 2025। श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका और उसमें हो चुके भ्रष्टाचार की कहानियां कभी खत्म होगी या नहीं, पता नहीं। पिछले काफी समय से आपका अपना न्यूज़ पोर्टल The Khabar Xpress राजस्थान की गत कांग्रेस सरकार के पट्टा महाभियान में हो चुके भ्रष्टाचार पर वार कर रहा है। हमने जनता को जागरूक करने के साथ ही साथ उन भ्रष्टाचारियों का भी खुलासा किया है जिन्होंने इस शहर की अस्मिता को नुकसान पहुंचाया है। जिस पट्टा अभियान का फायदा गरीब और मजलूम लोगो को मिलना चाहिए था उसका सबसे बड़ा फायदा श्रीडूंगरगढ़ के भूमाफियाओं, नगरपालिका के पार्षदो के साथ नगरपालिका के कार्मिकों ने भी उठाया था। जहाँ एक ओर वर्तमान पार्षद रजत आसोपा ने अपनी पत्नी के नाम पर तो पार्षद सुमन देवी प्रजापत पत्नी गोपालराम प्रजापत ने राजशाही पट्टे को भी अपने नाम पर करवा लिया था तो दूसरी ओर श्रीडूंगरगढ़ के तत्कालीन कर्मचारियों ने नियमो को ताक पर रखते हुए अपने पट्टे बना लिए।

जब पट्टा ही हम बनायेंगे तो कैसे नियम कैसे कायदे

शायद यही सोचा होगा श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका में कार्यरत तत्कालीन कर्मचारी मोतीलाल नाई ने। उन्होंने अपने पिता धर्मचंद पुत्र राजूराम नाई का पट्टा सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर बना दिया। हालात ये थे कि पट्टे में ऐसी कोई पत्रावली ही नही थी जिसमे हर बार भूखंड का कुछ नया क्षेत्रफल व माप ना लिखा गया हो। सबसे पहले तो नजरी नक्शा ही देखने से पता चलता है कि जब ताकत आपके हाथ मे हो तो आपके सौ खून भी माफ है। नक्शे को सीधे ही कागज पर उकेर लिया गया। किसी भी नगर मित्र या एजेंसी द्वारा इसे सत्यापित नहीं करवाया गया। जहां आम जनता के लिये ब्लूप्रिंट के नियम लागू होने के साथ ही गूगल कॉर्डिनेट, फलाना-ढिंकड़ा पता नहीं कितने नियम-कायदे व शर्तों के लिये उसकी चप्पल घिसाई करवा दी जाती थी वे कोई से भी नियम कायदे अपने लिए ताक पर रख दिये गए।

गौर करें कि इस नजरी नक्शे में भूखंड का साइज 80X36.50 फीट (उत्तर से दक्षिण 80 फीट व पूर्व से पश्चिम 36.50 फीट) लिखी गई है।

जब नजरी नक्शे को ही इस तरह से बनाया गया हो तो आगे क्या कहानी हो सकती है आप स्वयं समझ सकते है। इतने बड़े भूखंड पर किसी की नजर ना जाये इसलिए जब भूखंड की अनापत्ति विज्ञप्ति अखबार में निकाली गई तो जो भूखंड पहले 80X36.50 का था अब विज्ञप्ति में 35X90 फीट का हो गया था। सबसे बड़ा घालमेल तो तब हुआ जब जो जमीन उत्तर से दक्षिण 80 फीट की थी वो अब कम होकर 35 फीट की होगयी और पूर्व से पश्चिम हो गयी 36.50 फीट की जगह 90 फीट। अब ये किसकी गलती थी ये तो कोई नहीं जानता।

किसी भी पट्टे के निर्माण का अगला चरण होता है पटवारी सहित भू-शाखा एवं जेईएन की रिपोर्ट का। जब बैट्समैन भी खुद और एम्पायर भी खुद हो तो आउट होने वाली बॉल भी नो बॉल घोषित कर दी जाती है। यही हुआ जब इस पट्टेकी प्रोसिडिंग की गई। पटवारी रिपोर्ट को तो जैसे भुला ही दिया गया। जो भूखंड पहले 80X36.50 का था फिर विज्ञप्ति में 35X90 फीट का बना, वो अब वापिस 80X35.5 (271.27 मीटर) का बन गया। साथ ही उसको लिख दिया गया आबादी क्षेत्र के लगता हुआ (शब्दो पर गौर करे कि आबादी क्षेत्र के लगता हुआ ना कि आबादी क्षेत्र में) जो पट्टा सिर्फ इसलिए ही आम लोगो के खारिज कर दिये जाते है लेकिन ये पट्टा बना क्योंकि कलम तो अपने हाथ मे ही थी।

कहानी अभी खत्म नही हुई। असली खेल तो अब शुरू हुआ है। इतने घालमेल के बाद जब पट्टा प्रक्रिया अंतिम चरण में थी तब उस पट्टा विलेख की शर्तों में पट्टे का साइज फिर बदल गया। अब उस पट्टे का साइज हो गया 85X81.5 फीट। यानी उत्तर से दक्षिण 81.5 फीट तो पूर्व से पश्चिम 85 फीट। पट्टा हो गया अब दुगुना।

याद रखे इन सभी पेपर्स पर तत्कालीन सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर है।

अब आते है असली पट्टा विलेख पर। जो पट्टा पहले के कागजो में 271.27 वर्गमीटर का था इस अंतिम पेपर तक आते आते 643.16 वर्गमीटर में फैल गया। जिस जमीन को आबादी क्षेत्र से लगती हुई बताई गई थी वो आबादी क्षेत्र भी घोषित कर दी गयी। यहाँ भी हमारे तत्कालीन अधिशाषी अधिकारी एवं नगरपालिका अध्यक्ष मानमल शर्मा के हस्ताक्षर है। जिन्होंने अपने ये पट्टा जारी करते हुए शायद इन घपलों पर गौर ही नहीं किया। या फिर…..

जब सैया भये कोतवाल तो अब डर काहे का..

की कहावत चरितार्थ हो गईं। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी श्रीडूंगरगढ़ की नगरपालिका में ऐसे असंख्य पट्टे बना दिये गए जो किसी आम आदमी ने अपने सपने में भी नहीं सोचे होंगे। प्रशासन क्या स्वतः संज्ञान लेकर इन भ्रष्टाचारियों पर कोई कठोर कानूनी कार्यवाही करेगा ? क्योंकि हमारी श्रीडूंगरगढ़ की जनता तो सो रही है। उनको भ्रष्टाचार पर बोलने वाला तो चाहिए लेकिन स्वयं कभी नहीं बोलेंगे। चाहे गिद्धरूपी ये भूमाफिया इस सरजमीं को नोच कर कहा जाए या ऐसे भ्रष्टाचारी कर्मचारी गरीबो के हक़ों पर अपना हक जता जाए।

कोई ये ना समझे कि कहानी खत्म हो गयी है। अभी भी कई बड़े नाम बाकी है। अभी भी कुछ राजा हरिश्चंद्र बनने वाले पार्षदो का काला चिट्ठा खुलेगा तो नगरपालिका कार्मिकों के भ्रष्टाचार पर भी वार होगा। चाहे कोई भी हो जनता के सामने सब सच आएगा।

सत्यमेव जयते

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