



The Khabar Xpress 02 फरवरी 2025। बसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से माँ शारदा की पूजा की जाती है। पुराणों में सरस्वती माता को विद्या की देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। उनका वर्णन शुक्लवर्ण, शुक्लाम्बरा, वीणा और पुस्तक धारण करने वाली तथा श्वेत पद्म पर आसन ग्रहण करने वाली के रूप में किया गया है। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। बाकि दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। इसलिए सरस्वती को साहित्य, संगीत और कला की देवी माना जाता है।
सरस्वती माता का प्राकट्य दिवस माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो बसंत पंचमी के दिन है। इस बार बसंत पंचमी 02 फरवरी को मनाया जा रहा है। इसी कारण बसंत पंचमी पर सरस्वती माता की पूजा का विशेष महत्व है। यदि आप सरस्वती माता की पूजा करते हैं, तो अंत में उनकी आरती अवश्य करें।
सरस्वती पूजा का महत्व
विद्या, बुद्धि, और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा एक विशेष पर्व है। इस दिन पूजा के बाद माता सरस्वती की आरती करने से वह अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने के साथ-साथ उन्हें यश और कीर्ति प्रदान करती हैं और जीवनभर उनकी रक्षा करती हैं। पूरे संसार को ज्ञान और बुद्धि देने वाली मां सरस्वती अपने साधकों को अटूट भक्ति का आशीर्वाद देती हैं। देवी सरस्वती मन के मोह के अंधकार को दूर करती हैं और गलत रास्ते पर चल रहे लोगों को प्रगति का मार्ग दिखाती हैं। मां की आरती को उनकी महिमा और प्रशंसा के लिए सबसे बड़ी स्तुति माना जाता है, और इससे वह शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों के अज्ञान को दूर कर जीवन को प्रकाशमय करती हैं।
बसंत पंचमी पर क्यों पहने जाते हैं पीले रंग के कपड़े ?
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता है। इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीला रंग भगवान सूर्य का प्रतीक है। सूर्य की किरणें जिस प्रकार अंधकार का विनाश करती हैं, उसी तरह ये मनुष्य के हृदय में बसी बुरी भावना को नष्ट करती हैं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन पीला रंग पहनना शुभ माना गया है। वहीं, पीला रंग देवी सरस्वती का प्रिय रंग माना जाता है। हिंदू धर्म में पीला रंग शुभता, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। ऐसे में इस खास दिन पर पीले रंग के कपड़े पहनकर, पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा में भी उन्हें पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं, पीले रंग के फूल और पीले रंग का प्रसाद अर्पित किए जाते हैं।
मां सरस्वती की आरती
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
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