



The Khabar Xpress 25 जुलाई 2025। अनुच्छेद 19 भारतीय संविधान, व्यापार करने की आज़ादी और अनुच्छेद 21 जीवन जीने की आज़ादी देता है। कोई राज्य व्यक्ति को बाध्य नहीं करता कि वो अपनी फर्म/दुकान का नाम क्या रखे। उत्तरप्रदेश में जो भी किया गया है और जिसे उत्तराखंड सरकार ने फ़ॉलो किया है, वह संविधान विरोधी है। उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकार हमारे देश की गंगा-जमुनी संस्कृति की को कमज़ोर करने पर तुली हुई है और जो हमारे देश की अनेकता में एकता की माला है उसको बिखेर देना चाहती है।
यह सही है कि आज मुस्लिम अल्पसंख्यक शिक्षा के क्षेत्र में बहुत पिछड़े हुए हैं, फिर भी हमारी बहुत कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति इनके बिना अधूरी है। गाड़ी का पंचर निकालने से ले कर, गद्दों/रज़ाइयों की भराई, किसानों के कृषि औज़ार, बढ़ई का कार्य, पेंटर/कारपेंटर का कार्य, वेल्डिंग, गाड़ियों का मिस्त्री आदि बहुत से ऐसे छोटे-मोटे कार्य है जिनको ले कर हम इन पर निर्भर हैं और जो पढ़ लिख गये वह भी देश सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं। राजनीति से लेकर, स्वास्थ्य सेवा, इंजीनियरिंग सेवा के साथ हमारी और देश की सेवा के लिए सरहद पर डटे हुए है। देश की आज़ादी के बाद डॉ. ज़ाकिर हुसैन ने राजनीति में, डॉ. अबुल कलाम (मिसाइल मैन), यूसुफ़ खान उर्फ़ दिलीप कुमार अभिनय में, संगीत में मोहम्मद रफ़ी, आदि ने देश के नाम का परचम पूरे विश्व में फहराया है। आज विडम्बना देखो की भाजपा हमारे देश की इस गंगा-जमुनी संस्कृति को तार-तार करने पर तुली हुई है और बांटने का प्रयास कर रही है।
हमारे देश के माननीय सर्वोच्च न्यायालय, जिसने आदेश दिया कि दुकानदारों को पहचान बताने की ज़रूरत नहीं है, वह यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का भोजन बना रहे हैं, शाकाहारी या मांसाहारी। वैसे देखा जाये तो भोजन किसी भी क़िस्म का हो,जो जैसा खाना पसन्द करे खा सकता है। हमें देखना यह है कि उक्त भोजन में कैलोरी कितनी है और न्यूट्रान्स आदि कितना है, जो हमारे लिए स्वास्थ्य वर्धक हो। किसने बनाया या कौन बेच रहा है ? यह कोई मायने नहीं रखता।

