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पौत्र प्रेम में पूर्व विधायक ने फिर दिखाये बगावती तेवर, भतीजे को छोड़ किसी ओर के लिए मैदान में

Published on: November 11, 2023

द खबर एक्सप्रेस 11 नवम्बर 2023। श्रीडूंगरगढ़ में विधानसभा चुनाव अब रोचक स्थिति में पहुंच गया है। कांग्रेस, भाजपा, कॉमरेड, बसपा और रालोपा के साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है। जहाँ भाजपा के प्रत्याशी ताराचन्द सारस्वत के मंच पर सभी बड़े दिग्गज एक साथ हो गए है वहीं कांग्रेस में कमोबेश स्थिति थोड़ी कमजोर है। कांग्रेस प्रत्याशी मंगलाराम गोदारा की जनआशीर्वाद सभा मे कांग्रेस के टिकटार्थियों में से कुछ तो मंच पर नजर आए लेकिन कुछ लोगो का मंच पर उपस्थित न होना कही न कही आपसी फूट को दर्शा रहा है। विधायक कॉमरेड गिरधारीलाल महिया लगातार लोगो के बीच मे है। क्षेत्र के दो युवा रालोपा से विवेक माचरा और बसपा के राजेंद्र मेघवाल बापेऊ भी इन बुजुर्ग नेताओ के बीच अपनी अलग छाप छोड़ रहे है।

चर्चा का विषय पूर्व विधायक की पुनः बगावत

श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा चुनाव में जहाँ सभी उम्मीदवारों ने अपना पूरा दमखम लगा रखा है वही सबसे ज्यादा सुर्खियां भाजपा के नेता और पूर्व विधायक किसनाराम नाई ने बटोरी है। किसनाराम नाई ने 2018 में भाजपा प्रत्याशी रहे ताराचन्द सारस्वत से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़कर मात्र 4101 वोट प्राप्त किये थे जो नोटा को मिले 3894 वोट से कुछ ही ज्यादा थे। पूर्व विधायक को मिले इतने कम वोटों के कारण उनका क्षेत्र में घटता प्रभाव आमजन के सामने आगया। पार्टी फैसले के खिलाफ जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए पूर्व विधायक को पार्टी से निष्कासित कर दिया। पार्टी निष्कासन के बाद पूर्व विधायक द्वारा 2018 से अब तक पांच सालों में पार्टी में वापिस शामिल करने के लिए पूरा दमखम लगाने के साथ पार्टी से जुड़े अपने सभी सोर्सेज लगा दिए थे लेकिन पार्टी ने उनकी अनदेखी कर दी थी। आखिरकार 5 सालों के वनवास और लंबे संघर्ष के बाद 2023 चुनावो से ठीक पहले पार्टी में बिना शर्त के शामिल हुए। जिस पर श्रीडूंगरगढ़ भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका पुनर्वापसी पर स्वागत भी किया गया। लेकिन भाजपा के पूर्व विधायक ने वापिस बगावती तेवर दिखाते हुए एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी ताराचन्द सारस्वत के खिलाफ अपनी ताल ठोक दी और श्रीडूंगरगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी श्रीमती प्रीति शर्मा को अपना समर्थन दे दिया जिसके साथ उनके पौत्र पहले से ही मौजूद थे।

आमजन में चर्चा है कि पूर्व विधायक ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पार्टी के खिलाफ जाकर ना केवल बगावत की है परंतु अपनी नई पीढ़ी के लिए भी पार्टी दरवाजे सदा के लिये बन्द करवा लिए है। आमजन का मानना है कि पूर्व विधायक के इस फैसले से क्षेत्र में उनका कद घटा ही है और जो उनके समर्थक थे वे इनके फैसले के खिलाफ ही दिखाई दे रहे है। कहा जा रहा है कि पूर्व विधायक द्वारा अपने पौत्र प्रेम के चलते पार्टी बगावत का फैसला लिया है। लोगो का मानना है कि उनकी बगावत से पार्टी को नुकसान तो कितना होगा ये भविष्य में दिखाई देगा लेकिन अभी तो उनके व्यक्तित्व और राजनीतिक जीवन को ही क्षति पहुंची है।

पाठको को बता दे कि पूर्व विधायक किसनाराम नाई के भतीजे भीखाराम नाई ने भी निर्दलीय ताल ठोक रखी है और प्रत्याशी भीखाराम नाई के बेटे ने कांग्रेस की जनआशिर्वाद सभा मे मंच पर कांग्रेस का दुपट्टा पहना था।

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