




द खबर एक्सप्रेस 09 नवम्बर 2023। श्रीडूंगरगढ़ में विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। सत्ता का महासंग्राम आरम्भ हो चुका है। कांग्रेस, बीजेपी, कॉमरेड, बसपा और रालोपा के अतिरिक्त कुछ निर्दलीय भी मैदान में है।
बड़ी रैलियों ने बढ़ाया असमंजस
विधानसभा चुनाव घोषित होते ही चुनावी दौड़ शुरू हो चुकी थी। विधायक कॉमरेड गिरधारीलाल महिया मैदान में पहले से ही थे। पार्टीयो द्वारा टिकटों के वितरण में सबसे पहले बाजी मारी भाजपा के ताराचन्द सारस्वत ने। टिकट घोषणा के पहले और बाद से ही सारस्वत चुनावी मैदान में डट गए और ग्राम स्तर तक अपने समर्थकों को जुटाने लगे। कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर असमंजस बना रहा लेकिन अंत मे टिकट मिला पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा को।
श्रीडूंगरगढ़ से 2 नवम्बर को भाजपा के सारस्वत ने नामांकन रैली का आयोजन किया और श्रीडूंगरगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के इतिहास की सबसे बड़ी सभा और रैली करके अपना दमखम दर्शाया।
उसके बाद कॉमरेड गिरधारीलाल महिया ने एक जनसमर्थन सभा करके 6 नवम्बर को श्रीडूंगरगढ़ के दशहरा मैदान में अपने समर्थकों की भीड़ जुटाई और आमजन में एक नई चर्चा छेद दी कि किस रैली में लोगो का हुजूम ज्यादा। फिर बारी आई कांग्रेस के पूर्व विधायक और प्रत्याशी मंगलाराम गोदारा की जिन्होंने कल वीर तेजा धर्मशाला में जन आशीर्वाद सभा करके मुख्य बाजार में विशाल रैली निकाली। इसके अलावा बसपा के राजेंद्र मेघवाल बापेऊ ने भी रैली निकाल कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
रैलियों ने बिगाड़े समीकरण, वोटर्स असमंजस में
सबसे पहले भाजपा की रैली निकलते ही हर आम आवाम की जुबान पर सिर्फ उसी की चर्चा थी कि अबकी बार सारस्वत का जोर ज्यादा। सारस्वत के वोटर्स बोले तो लोग भी उनके पक्ष में बोलने लगे गए चर्चा हुई कि इस बार सारस्वत रहेंगे सब पर भारी।
6 नवम्बर को कॉमरेड गिरधारीलाल महिया ने रैली निकाली तो एक बार फिर श्रीडूंगरगढ़ की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिसने नई चर्चा को जन्म दिया कि कौन किससे बेहतर। लोगो का कहना था कि भाजपा की रैली सबसे बड़ी थी तो ये भी कम नही थी। कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने अपनी ताकत दिखाते हुए कल जनआशीर्वाद सभा करके एक रैली ओर निकाली। एक बार फिर श्रीडूंगरगढ़ के मुख्य बाजार की सड़कें जाम हुई और लोगो मे तीनो रैलियों को लेकर चर्चा तेज़ हो गई।
इन रैलियों ने लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया और उन्हें असमंजस में डाल दिया कि कौनसी रैली बड़ी और इस बार कौन मारेगा बाज़ी…?
रैलियों का असर ये हुआ कि लोग कहने लगे गए कि “अबके ठा कोनी पड़े” कुण भारी है…?

