



द खबर एक्सप्रेस 27 अक्टूबर 2023। राजस्थान विधानसभा चुनावों का महासंग्राम आरम्भ हो चुका है। भाजपा ने अब तक जहाँ 124 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है वही कांग्रेस ने अब तक सिर्फ 95 उम्मीदवारों की ही घोषणा की है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी, आरलपी, बसपा ने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना आरम्भ कर दिया है। विदित रहे कि राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है, इस कारण भाजपा सत्ता प्राप्ति के लिए आशावान है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार गहलोत सरकार के लोक लुभावन वादों और भाजपा में वसुंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नही करने पर दोनों ही पार्टीयो में मुकाबला बहुत ही रोचक होने वाला है।
श्रीडूंगरगढ़ का चुनावी रण
श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा चुनावों में गत विजेता कॉमरेड गिरधारीलाल महिया माकपा से विधायक बने थे। स्थानीय स्तर पर क्षेत्र में माकपा का वोटा बैंक ना होने पर भी गत चुनावों में कॉमरेड गिरधारीलाल महिया की जीत ने क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण बिगाड़ दिए थे। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि गत चुनावो में कॉमरेड के विजेता होने के दो प्रमुख कारण रहे थे जिनमें एक कारण महिया द्वारा किसानों की आम समस्या बिजली को सड़क से लेकर प्रशासन तक आवाज़ बुलंद करना रहा, वही दूसरा बड़ा कारण क्षेत्र के कांग्रेस और भाजपा के दोनों दिग्गज नेताओं कांग्रेस के मंगलाराम गोदारा और भाजपा विधायक किसनाराम नाई का आमजन में विरोध था। गोदारा और नाई के विरोधियों ने एकजुट होकर तीसरे विकल्प के रूप में गिरधारीलाल महिया को चुना। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी गत 2018 के चुनावों में अपना नया प्रत्याशी उतारने में देर कर दी। किसनाराम नाई की टिकट कटने पर नाई ने निर्दलीय ताल ठोक कर चुनाव लड़ा और भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा की। हालांकि क्षेत्र के दिग्गज नेता निर्दलीय रूप में बेहद ही कमजोर साबित हुए थे। गत चुनाव में नाई को सिर्फ 4101 वोट ही मिले थे। भाजपा और कांग्रेस को यहाँ करारी हार झेलनी पड़ी थी।
2023 में भाजपा आगे…
2023 विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। भारतीय जनक़्त पार्टी ने सबसे पहले अपना प्रत्याशी घोषित करके क्षेत्र में मनोबल बढ़ाने की बढ़त हासिल कर ली है। भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे ताराचन्द सारस्वत पर एक बार फिर विश्वास जताया और उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। वही कांग्रेस में स्थिति अभी संशय की बनी हुई है। राजनीतिक गलियारों में कभी कॉमरेड-कांग्रेस गठबंधन की चर्चा हो रही है तो कही पूर्व विधायक रहे दिग्गज नेता मंगलाराम गोदारा की टिकट काटकर किसी युवा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने की हो रही है। पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा के बाद सबसे मजबूत दावेदारों में युवा नेता हरीराम बाना और मूलाराम भादू की उम्मीदवारी सबसे मजबूत बताई जा रही है। इसके अलावा कॉमरेड द्वारा भी अभी तक किसी भी प्रकार की घोषणा नही होने पर जनता में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस परिस्थिति का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा के प्रत्याशी ताराचन्द सारस्वत को मिला है जिन्होंने सबसे पहले उम्मीदवारी घोषित होने के बाद से क्षेत्र में लगातार संपर्क कर अपनी स्थिति मजबूत कर रहे है।
आगे क्या…
भाजपा के अलावा अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने चुनावी पत्ते नही खोले है। अगर स्थिति ये रहे कि इस चुनाव में भाजपा के अलावा कांग्रेस और कॉमरेड अपने अपने उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरती है तो यहाँ के राजनीतिक मुकाबले का रोमांच चरम पर होगा। आमजन का मानना है कि गत चुनावो में तीन नम्बर रहे भाजपा प्रत्याशी ताराचन्द सारस्वत की स्थिति सुधरी है तो कॉमरेड गिरधारीलाल महिया को एन्टीनकंबेंसी का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को नए उम्मीदवार उतारने का फायदा मिल सकता है। तो वही पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा भी कड़ी टक्कर दे सकते है। वही इस बार जिस तरह की मेहनत रालोपा के विवेक माचरा ने की है उससे तो यही लगता है कि सभी पार्टियों के लिये रालोपा एक मजबूत चुनौती पेश करेगी।

