



द खबर एक्सप्रेस 20 सितंबर 2023। राष्ट्रीय राजमार्ग 11, जिसके किनारे हमारा श्रीडूंगरगढ़ बसा है। यह राजमार्ग बीकानेर और राजस्थान की राजधानी जयपुर को सीधा जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे होने के कारण इस कस्बे की महत्ता भी अलग है। इसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कस्बे का उपखंड कार्यालय, तहसील कार्यालय, पंचायत समिति, नगर पालिका और कुछ सामाजिक संस्थाओं के भी कार्यालय स्थित है। श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के मुख्य बाजार में जाने के लिए इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक महावीर कीर्ति स्तम्भ बना हुआ है, जिसको लोग घूमचक्कर के नाम से जानते हैं। यह घूमचक्कर राष्ट्रीय राजमार्ग को 4 दिशाओं में बांटता है, इसके उत्तर की तरफ श्रीडूंगरगढ़ शहर में, दक्षिण की तरफ बीदासर रोड, पूर्व की तरफ जयपुर रोड और पश्चिम की तरफ बीकानेर है। घूमचक्कर के पूर्व और पश्चिम बीकानेर से जयपुर रोड के दोनों तरफ लगभग 2 किलोमीटर तक सड़क को चौड़ा करके इसके बीच में डिवाइडर भी बनाए गए हैं। सड़क के दोनों और सर्विस रोड भी बनाई गई है। जो हैं तो आमजन के लिये, लेकिन उस सर्विस रोड का उपयोग बसो, निजी वाहनों और ठेले वालों द्वारा किया जाता है। जिसपर इन लोगो ने अनाधिकृत रूप से कब्जा किया हुआ है। कोई भी वाहन चालक अपने वाहन को अव्यवस्थित तरीके से खड़ा करके इस सड़क पर अपना हक जमाते दिखते है। जिस सर्विस रोड का उपयोग आमजन के आवागमन के लिए होना चाहिये उस पर निकलना तक मुश्किल है।


जहां एक तरफ ये अव्यवस्थित यातायात बड़ी समस्या है तो दूसरी तरफ इस राजमार्ग की सफाई व्यवस्था भी माकूल नही है। यहाँ गन्दगी के ढेर पड़े रहते है, जो स्थानीय नगरपालिका द्वारा समय पर नही उठाये जाते और ना ही सफाई ही की जाती है। सड़क के दोनों तरफ चौड़ी और गहरी नालियां बनी हुई है जिसको कुछ जगह तो ढका हुआ है और कुछ जगह पर खुला छोड़ दिया गया है। इन्ही खुली गहरी और चौड़ी नालियों में आये दिन कोई न कोई वाहन, आमजन या पशु गिर कर घायल हो जाते है।
हालात ये है कि इन नालियों की सफाई किसके भरोसे है ये भी आमजन को पता नही है। नालियों का गंदा पानी सड़क पर पसरा रहता है। ना इसकी सफाई होती है ना ही इस पानी की निकासी का कोई जरिया है।

टूटी रेलिंगो और जालियों का जिम्मेदार कौन….?
घुमचक्कर के दोनों तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच मे बने चौड़े डिवाइडर वैसे तो किसी भी शहर के सुंदरता और स्वच्छता के साथ पर्यावरण के प्रति प्रेम को दर्शाता है लेकिन हमारे श्रीडूंगरगढ़ की कहानी कुछ ओर है। यहाँ आनन फानन में बिना किसी नापजोख और क़्वालिटी के जालियां लगा दी जाती है और कहने भर के लिये उसमे कुछ पौधे इसलिए लगाए जाते है कि कोई सरकारी भुगतान उठा सके। लेकिन उन पौधों की भी सार संभाल नही की जाती। और वैसे भी जो थोड़े बहुत पौधे खानापूर्ति के लिए लगाए जाते है वो पनपे भी कैसे क्योंकि जो सिर्फ भुगतान उठाने के लिए ही जालियां लगाई जाती है वो तो कुछ दिनों में ही टूट जाती है। वैसे भी इसका खैरख्वाह कोई नही होता। डिवाइडर पर लगी जालियों को भी कबाड़ बीनने वाले या फिर असामाजिक तत्व धीरे धीरे वहाँ से ले जाते है। वहां सिर्फ उनके अवशेष बचते है जो इन जालियों की लीपापोती की कहानी कहते है।



सर्विस रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच मे भी लोहे की भारी भरकम रेलिंग लगाई गई है। जो अगर एक बार टूट जाये या फिर विभागीय कार्यवाही में ही गिरा दी जाए तो वापिस उसको ठीक कौन करवायेगा ये भी नही पता…? हालात ये है कि अगर कोई इन रेलिंग को खोलकर ले भी जाये तो पूछने वाला कोई नहीं है।
कस्बे के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी का कार्यालय और निवास होने के बावजूद भी राष्ट्रीय राजमार्ग के डिवाइडर की इन टूटी जालियों, रेलिंग और इसकी सफाई की व्यवस्था का जिम्मेदार कौन…?
कौन सुधारेगा इन्हें…. नगरपालिका या फिर राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग…?
