



द खबर एक्सप्रेस 04 सितंबर 2023। राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे हथियार डालने के लिए तैयार नहीं है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे को लेकर बीजेपी आलाकमान पशोपेश में है। बगावत के डर से ही बीजेपी ने किसी स्थानीय नेता को आगे नहीं किया है। माना जा रहा है कि बीजेपी सत्ता में आती है तो वसुंधरा राजे की नाराजगी बीजेपी को वैसी ही भारी पड़ सकती है, जैसे कांग्रेस को सचिन पायलट की पड़ी थी। वसुंधरा राजे ने धार्मिक यात्राओं के जरिए इशारों में संकेत भी दे दिए है। आगामी दिनों में वसुंधरा राजे का नया रूप देखने को मिल सकता है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान के सामने वसुंधरा राजे कैंप को साधना बड़ी चुनौती हो सकता है
वसुंधरा राजे फ्रंटफुट पर
राजस्थान बीजेपी मौजूद समय में प्रदेश भर में गहलोत सरकार के खिलाफ परिवर्तन यात्रा निकाल रही है। वसुंधरा राजे ने जेपी नड्डा और अमित शाह की मौजूदगी में गहलोत सरकार को निशाने पर लिया। ऐसे में साफ संकेत है कि वसुंधरा राजे राजस्थान में केंद्रीय भूमिका में ही रहना चाहती है। हालांकि, इस बार पार्टी आलाकमान ने वसुंधरा राजे के सीएम फेस घोषित नहीं किया, लेकिन इसके बावजूद वसुंधरा राजे की मौजूदगी के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे आसानी हथियार नहीं डालेगी। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं है। बीजेपी प्रदेश भर में गहलोत सरकार के खिलाफ माहौल बना रही है। जबकि दूसरी तरफ वसुंधरा राजे समर्थक माने जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने आलाकमान ने मेघवाल को नोटिस भी थमा दिया है।

बीजेपी में नहीं थम रही गुटबाजी
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे को कमजोर करने के लिए ही कैलाश मेघवाल को नोटिस दिया है। इससे पहले भी वसुंधरा राजे समर्थक माने जाने वाले पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा को पार्टी से निकाल दिया था। जबकि पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी की घर वापसी फिलहाल अधर में लटकी हुई है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल वसुंधरा राजे समर्थकों की घर वापसी नहीं चाहते हैं। बता दें अर्जुन मेघवाल की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंषा पर घर वापसी होती है। अर्जुन मेघवाल वसुंधरा राजे का नाम लिए बिना उन्हें डूबता सूरज बता चुके हैं। राजस्थान में गुटबाजी को थामने के लिए पार्टी आलाकमान ने चुनाव से पहले सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर सीपी जोशी को कमान सौंपी है। ऐसा माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे कैंप की नाराजगी की वजह से ही पूनिया को पद से हटाया गया था। लेकिन इसके बावजूद भी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर वसुंधरा राजे कैंप के नेता बगावत कर सकते हैं।

