



The Khabar Xpress 18 सितंबर 2024। कभी सोचा है आपने कि आपका बच्चा किसी विद्यालय में जाये और उस विद्यालय में जिस संकाय में आपका बच्चा पढ़ रहा हो, शुरुआती सत्र से ही उस संकाय में कोई भी अध्यापक ही ना हो। जी हां… सच में विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। ऐसा लग रहा है कि रामभरोसे है विद्यार्थियों की पढ़ाई।
क्षेत्र के सबसे बड़े विद्यालयों में से एक श्रीडूंगरगढ़ शहर का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय है। कस्बे और आसपास के क्षेत्र के अनेक विद्यार्थी यहाँ विद्याध्ययन के लिए आते है। कस्बे में ये एकमात्र सरकारी संस्थान है जिसमे वाणिज्य, कला और विज्ञान संकाय के फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, गणित और कृषि विषयों को पढ़ाया जाता है। इतना बड़ा संस्थान होने के बावजूद भी विडंबना है कि इस विद्यालय में कक्षा 11 और 12 के विज्ञान संकाय के किसी भी विषयो के अध्यापक इस सत्र के आरम्भ से ही नहीं है। इस कारण यहाँ पढ़ने वाले बच्चों में रोष है। उनका कहना है कि अध्यापक नहीं होने के कारण उनकी पूरे सत्र में ही पढ़ाई नहीं हो सकी है। उनका पूरा भविष्य अंधकारमय है। ना तो स्कूल प्रशासन इसके लिये प्रयास कर रहा है और ना ही कोई जनप्रतिनिधि इसके लिए आवाज़ ही उठा रहा है। ऐसा लग रहा है कि ये पूरा सत्र ही बिना अध्यापकों के निकल जायेगा। विद्यालय के विद्यार्थियों यशोमति ओड, निकिता शर्मा, पवन भाटी, जसकरण, मनदीप, नितेश, नंदलाल, मोनू, नारायण ने कहा कि इस पूरे सत्र के दौरान एक भी लेक्चर नही हो पाया है। छात्रों का कहना है कि अगर जल्द ही अध्यापकों की व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा।
यद्यपि विद्यालय शिक्षण को सुचारू रखने के लिए अपने स्तर पर यथासम्भव व्यवस्था कर रहा है किन्तु विज्ञान संकाय में नियमित शिक्षकों के अभाव में नामांकन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है तथा शिक्षण में भी अपेक्षित गतिशीलता नहीं है। इसके अलावा शहरी शिक्षा संकुल की 15 शालाओं से सूचनाएँ संकलित कर उन्हें समेकित एवं उच्चाधिकारियों को प्रेषण में शिक्षकों का सहयोग लिया जाता है जिससे शिक्षण व्यवस्था अवश्य प्रभावित होती है। शिक्षण व्यवस्था के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।
डॉ. मनीष कुमार, कार्यवाहक प्राचार्य, राउमावि श्रीडूंगरगढ़

