



The Khabar Xpress 17 अगस्त 2024। राजस्थान के सरकारी शिक्षकों ने अपने तबादले के लिए नया जुगाड़ खोज लिया है। प्रदेश की महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नियुक्ति को हिंदी माध्यम स्कूलों के शिक्षक तबादले का रास्ता मान रहे है। इस बात का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि इन स्कूलों में नियुक्ति के लिए हुए जिलेवार आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अकेले बाड़मेर से 9 हजार 564 आवेदन हुए है, जहां नियुक्ति को अमूमन सजा माना जाता रहा है। सरकार ने जब महात्मा गांधीएवं स्वामी विवेकानंद स्कूल के नाम पर प्रदेश के किसी भी जिलों के लिए आवेदन मांगे गए तो सबसे ज्यादा आवेदन बाड़मेर के शिक्षकों ने किए हैं।
25 अगस्त को होनी है परीक्षा, सिर्फ 40 अंको की आवश्यकता
महात्मा गांधी एवं स्वामी विवेकानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नियुक्ति के लिए शिक्षकों की परीक्षा 25 अगस्त को आयोजित होगी। हर जिला मुख्यालय पर ये परीक्षा दोपहर 1 बजे से 2.40 बजे तक होगी। अंग्रेजी में 100 अंक की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए शिक्षकों को कम से कम 40 अंक लाने होंगे। बाद में काउंसलिंग से उनकी नियुक्ति की जाएगी।
पद से पांच गुना ज्यादा हुए आवेदन
प्रदेश की 3737 महात्मा गांधी एवं 134 स्वामी विवेकानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के रिक्त पदों की संख्या सिर्फ 17500 है। इन रिक्त पदों से इतर इन स्कूलों में नियुक्ति के लिये इससे पांच गुना अधिक 87 हजार 785 शिक्षकों ने आवेदन किए हैं। जिनमें 1198 प्राचार्य व 86 हजार 587 अन्य शिक्षक शामिल हैं। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इसके पीछे शिक्षकों की तबादलों की जुगाड़ व्यवस्था किस हद तक हुई है। सरकार जहां डिजायर से कुछ हद तक ही तबादला कर सकती है वही ये जुगाड़ शिक्षकों को सरल लग रहा है।
इन जिलों में सबसे अधिक आवेदन
अमूमन बाड़मेर नियुक्ति को शिक्षक एक सजा के तौर पर मानते है। वहां से तबादला होना ही बड़ा मुश्किल माना जाता है। इस नए जुगाड़ का फायदा यही के शिक्षकों ने उठाने की कोशिश की है जहाँ से इन महात्मा गांधी स्कूलों में नियुक्ति के लिए सबसे अधिक आवेदन प्राप्त हुए है। लबाड़मेर के बाद जोधपुर में 6490 व भीलवाड़ा में 4927 शिक्षकों के हुए हैं। सबसे कम 722 आवेदन प्रतापगढ़ के शिक्षकों ने किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये सही है कि स्कूलों में नियुक्ति को तबादलों की गली माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि आवेदनों की संख्या पदों से पांच गुना से भी ज्यादा हुई है। इस नियुक्ति प्रक्रिया से हिंदी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों का संकट भी बढ़ेगा।

