



द खबर एक्सप्रेस 15 सितंबर 2023। राजस्थान में चुनाव से पहले कांग्रेस में संभावित प्रत्याशियों पर मंथन जारी है। अबकी बार पार्टी सिर्फ जिताऊ और टिकाऊ प्रत्याशियों की खोज कर रही है। पार्टी के लिए 200 में से 52 सीटें परेशानी का कारण बनी हुई है। इन सीटों पर कांग्रेस की हार की हैट्रिक लग चुकी है या फिर लगातार दो बार बड़े मार्जिन से हार चुके है। इस बार पार्टी ने इन सीटों को जीतने के लिए विशेष रणनीति अपनाई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार लगातार हार रही सीटों पर प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की रैलियां और सभाएं भी करवाई जा सकती है। राजस्थान कांग्रेस कमेटी ने अपने स्तर पर सर्वे कराए है। तीन चरणों की छानबीन के बाद ही जिताऊ उम्मीदवार को टिकट दिए जाएंगे। गहलोत-पायलट गुट जीत टिकट का पैमाना नहीं होगा।
परिवारजनों को टिकट नहीं : रंधावा
प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साफ कह दिया है कि मंत्री-विधायक परिजनों के लिए टिकट की पैरवी नहीं करें। इन सीटों पर चेहरों के चयन पर ही पार्टी का सबसे ज्यादा जोर है। क्योंकि पार्टी यहां से लगातार तीन बार चुनाव हार चुकी है। कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार तलाशने में सबसे ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है।
इन सीटों पर कांग्रेस की लग चुकी है हार की हैट्रिक
सियासी जानकारों के अनुसार इन सीटों पर कांग्रेस के कमजोर होने के पीछे बड़ी वजह गुटबाजी मानी जाती है। लेकिन इस बार पार्टी विशेष गुट से संबंधित नेताओं को टिकट देने से परहेज कर सकती है। पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को टिकट दिए जाएंगे। भरतपुर जिले की नदबई, धौलपुर, महुआ, गंगापुरसिटी, मालपुरा, अजमेर नॉर्थ, अजमेर साउथ, ब्यावर, नागौर, खींवसर, मेड़ता, जैतारण, सोजत, पाली, मारवाड़ जंक्शन, बाली, भोपालगढ़, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, सिरोही, रेवदर, उदयपुर, घाटोल, कुशलगढ़,राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, गंगानगर, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर ईस्ट, श्रीडूंगरगढ़, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, फुलेरा, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बस्सी, किशनगढ़ बास, बहरोड़, थानागाजी, अलवर शहर, नगर, बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंज मंडी, झालरापाटन और खानपुर सीट शामिल है। इन सीटों पर ऑब्जर्वर्स और स्क्रीनिंग कमेटी को जिताऊ उम्मीदवार तय करने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है।
अंतिम फैसला आलाकमान का
सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत और पायलट ही टिकट बंटवारे की धुरी है, लेकिन इस बार पार्टी आलाकमान अपने स्तर पर भी कठोर निर्णय ले सकता है। टिकट बंटवारे में निष्ठावान कार्यकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी। इन 53 सीटों पर पार्टी का ज्यादा जोर इसलिए है, क्योकि यहां से लगातार चुनाव हार रही है। जब कांग्रेस विपक्ष में थी, इसके बावजूद में सत्ता विरोधी लहर का फायदा नहीं मिल पाया था। पार्टी के लिए इन सीटों पर जीतना सबसे बड़ी चुनौती है। राजस्थान में साल के अंत में चुनाव है। यहां हर पांच साल बाद सत्ता बदलने की रवायत रही है। लेकिन इस बार सीएम गहलोत का दावा है कि उनकी सरकार रिपीट होगी। इसके पीछे सीएम गहलोत सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजानाओं का हवाला दे रहे हैं।
